एक साल में बाइबल नवंबर ४विलापगीत ३:१-६६१. उसके रोष की छड़ी से दु:ख भोगनेवाला पुरूष मैं ही हूं;२. वह मुझे ले जाकर उजियाले में नहीं, अन्धियारे ही में चलाता है;३. उसका हाथ दिन भर मेरे ही विरूद्ध उठता रहता है।४. उस ने मेरा मांस और चमड़ा गला दिया है, और मेरी हडि्डयों को तोड़ दिया है;५. उस ने मुझे रोकने के लिये किला बनाया, और मुझ को कठिन दु:ख और श्रम से घेरा है;६. उस ने मुझे बहुत दिन के मरे हुए लोगों के समान अन्धेरे स्थानों में बसा दिया है।७. मेरे चारों ओर उस ने बाड़ा बान्धा है कि मैं निकल नहीं सकता; उस ने मुझे भारी सांकल से जकड़ा है;८. मैं चिल्ला चिल्लाके दोहाई देता हूँ, तौभी वह मेरी प्रार्थता नहीं सुनता;९. मेरे माग को उस ने गढ़े हुए पत्थरों से रोक रखा है, मेरी डगरों को उस ने टेढ़ी कर दिया है।१०. वह मेरे लिये घात में बैठे हुए रीछ और घात लगाए हुए सिंह के समान है;११. उस ने मुझे मेरे माग से भुला दिया, और मुझे फाड़ डाला; उस ने मुझ को उजाड़ दिया है।१२. उस ने धनुष चढ़ाकर मुझे अपने तीर का निशाना बनाया है।१३. उस ने अपनी तीरों से मेरे हृदय को बेध दिया है;१४. सब लोग मुझ पर हंसते हैं और दिन भर मुझ पर ढालकर गाीत गाते हैं,१५. उस ने मुझे कठिन दु:ख से भर दिया, और नागदौना पिलाकर तृप्त किया है।१६. उस ने मेरे दांतों को कंकरी से तोड़ डाला, और मुझे राख से ढांप दिया है;१७. और मुझ को मन से उतारकर कुशल से रहित किया है; मैं कल्याण भूल गया हूँ;१८. इसलिऐ मैं ने कहा, मेरा बल नाश हुआ, और मेरी आश जो यहोवा पर थी, वह टूट गई है।१९. मेरा दु:ख और मारा मारा फिरना, मेरा नागदौने और- और विष का पीना स्मरण कर !२०. मैं उन्हीं पर सोचता रहता हूँ, इस से मेरा प्राण ढला जाता है।२१. परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ, इसीलिये मुझे आशा हैे२२. हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरूणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है।२३. प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।२४. मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।२५. जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है।२६. यहोवा से उठ्ठार पाने की आशा रखकर चुपचाप रहना भला है।२७. पुरूष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है।२८. वह यह जानकर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है;२९. वह अपना मुंह धूल में रखे, कया जाने इस में कुछ आशा हो;३०. वह अपना गाल अपने मारनेवाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे।३१. क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता,३२. चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करूणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है;३३. क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।३४. पृथ्वी भर के बंधुओं को पांव के तले दलित करना,३५. किसी पुरूष का हक़ परमप्रधान के साम्हने मारना,३६. और किसी मनुष्य का मुक़ मा बिगाड़ना, इन तीन कामों को यहोवा देख नहीं सकता।३७. यदि यहोवा ने आज्ञा न दी हो, तब कौन है कि वचन कहे और वह पूरा हो जाए?३८. विपत्ति और कल्याण, क्या दोनों परमप्रधान की आज्ञा से नहीं होते?३९. सो जीवित मनुष्य क्यों कुड़कुड़ाए? और पुरूष अपने पाप के दण्ड को क्यों बुरा माने?४०. हम अपने चालचलन को ध्यान से परखें, और यहोवा की ओर फिरें !४१. हम स्वर्गवासी परमेश्वर की ओर मन लगाएं और हाथ फैलाएं और कहेंे४२. हम ने तो अपराध और बलवा किया है, और तू ने क्ष्मा नहीं किया।४३. तेरा कोप हम पर है, तू हमारे पीछे पड़ा है, तू ने बिना तरस खाए घात किया है।४४. तू ने अपने को मेघ से घेर लिया है कि तुझ तक प्रार्थना न पहुंच सके।४५. तू ने हम को जाति जाति के लोगों के बीच में कूड़ा- कर्कट सा ठहराया है।४६. हमारे सब शत्रुओं ने हम पर अपना अपना मुंह फैलाया है;४७. भय और गड़हा, उजाड़ और विनाश, हम पर आ पड़े हैं;४८. मेरी आंखों से मेरी प्रजा की पुत्री के विनाश के कारण जल की धाराएं बह रही है।४९. मेरी आंख से लगातार आंसू बहते रहेंगे,५०. जब तक यहोवा स्वर्ग से मेरी ओर न देखे;५१. अपनी नगरी की सब स्त्रियों का हाल देखने पर मेरा दु:ख बढ़ता है।५२. जो व्यर्थ मेरे शत्रु बने हैं, उन्हों ने निर्दयता से चिड़िया के समान मेरा आहेर किया है;५३. उन्हों ने मुझे गड़हे में डालकर मेरे जीवन का अन्त करने के लिये मेरे ऊपर पत्थर लुढ़काए हैं;५४. मेरे सिर पर से जल बह गया, मैं ने कहा, मैं अब नाश हो गया।५५. हे यहोवा, गहिरे गड़हे में से मैं ने तुझ से प्रार्थना की;५६. तू ने मेरी सुनी कि जो दोहाई देकर मैं चिल्लाता हूँ उस से कान न फेर ले !५७. जब मैं ने तुझे पुकारा, तब तू ने मुझ से कहा, मत डर !५८. हे यहोवा, तू ने मेरा मुक़ मा लड़कर मेरा प्राण बचा लिया है।५९. हे यहोवा, जो अन्याय मुझ पर हुआ है उसे तू ने देखा है; तू मेरा न्याय चुका।६०. जो बदला उन्हों ने मुझ से लिया, और जो कल्पनाएं मेरे विरूद्ध कीं, उन्हें भी तू ने देखा है।६१. हे यहोवा, जो कल्पनाएं और निन्दा वे मेरे विरूद्ध करते हैं, वे भी तू ने सुनी हैं।६२. मेरे विरोधियों के वचन, और जो कुछ भी वे मेरे विरूद्ध लगातार सोचते हैं, उन्हें तू जानता है।६३. उनका उठना- बैठना ध्यान से देख; वे मुझ पर लगते हुए गीत गाते हैं।६४. हे यहोवा, तू उनके कामों के अनुसार उनको बदला देगा।६५. तू उनका मन सुन्न कर देगा; तेरा शाप उन पर होगा।६६. हे यहोवा, तू अपने कोप से उनको खदेड़- खदेड़कर धरती पर से नाश कर देगा।विलापगीत ४:१-२२१. सोना कैसे खोटा हो गया, अत्यन्त खरा सोना कैसे बदल गया है? पवित्रास्थान के पत्थर तो हर एक सड़क के सिरे पर फेंक दिए गए हैं।२. सिरयोन के उत्तम पुत्रा जो कुन्दन के तुल्य थे, वे कुम्हार के बनाए हुए मिट्टी के घड़ों के समान कैसे तुच्छ गिने गए हैं !३. गीदड़िन भी अपने बच्चों को थन से लगाकर पिलाती है, परन्तु मेरे लोगों की बेटी वन के शुतुर्मुग के तुल्य निर्दयी हो गई है।४. दूधपीउवे बच्चों की जीभ प्यास के मारे तालू में चिपट गई है; बालबच्चे रोटी मांगने हैं, परन्तु कोई उनको नहीं देता।५. जो स्वादिष्ट भेजन खाते थे, वे अब सड़कों में व्याकुल फिरते हैं; जो मखमल के वस्त्रों में पले थो अब घूरों पर लेटते हैं।६. मेरे लोगों की बेटी का अधर्म सदोम के पाप से भी अधिक हो गया जो किसी के हाथ डाले बिना भी क्षण भर में उलट गया था।७. उसके कुलीन हिम से निर्मल और दूध से भी अधिक उज्ज्वल थे; उनकी देह मूंगों से अधिक लाल, और उनकी सुन्दरता नीलमणि की सी थी।८. परन्तु अब उनका रूप अन्धकार से भी अधिक काला है, वे सड़कों में चीन्हें नहीं जाते; उनका चमड़ा हडि्डयों में सट गया, और लकड़ी के समान सूख गया है।९. तलवार के मारे हुए भूख के मारे हुओं से अधिक अच्छे थे जिनका प्राण खेत की उपज बिना भूख के मारे सूखता जाता हे।१०. दयालु स्त्रियों ने अपने ही हाथों से अपने बच्चों को पकाया है; मेरे लोगों के विनाश के समय वे ही उनका आहार बन गए।११. यहोवा ने अपनी पूरी जलजलाहट प्रगट की, उस ने अपना कोप बहुत ही भड़काया; और सिरयोन में ऐसी आग लगाई जिस से उसकी नेव तक भस्म हो गई हे।१२. पृथ्वी का कोई राजा वा जगत का कोई बांसी इसकी कभी प्रतीति न कर सकता था, कि द्रोही और शत्रु यरूशलेम के फाटकों के भीतर घुसने पाएंगे।१३. यह उसके भविष्यद्वक्ताओं के पापों और उसके याजकों के अधर्म के कामों के कारण हुआ है; क्योंकि वे उसके बीच धर्मियों की हत्या करते आए हैं।१४. वे अब सड़कों में अन्धे सरीखे मारे मारे फिरते हैं, और मानो लोहू की छींटों से यहां तक अशुठ्ठ हैं कि कोई उनके वस्त्रा नहीं छू सकता।१५. लोग उनको पुकारकर कहते हैं, अरे अशुठ्ठ लोगो, हट जाओ ! हट जाओ ! हम को मत छूओ ! जब वे भागकर मारे मारे फिरने लगे, तब अन्यजाति लोगों ने कहा, भविष्य में वे यहां टिकने नहीं पाएंगे।१६. यहोवा ने अपने कोप से उन्हें तितर- बितर किया, वह फिर उन पर दया दृष्टि न करेगा; न तो याजकों का सन्मान हुआ, और न पुरनियों पर कुछ अनुग्रह किया गया।१७. हमारी आंखें व्यर्थ ही सहायता की बाट जोहते जोहते रह गई हैं, हम लगातार एक ऐसी जाति की ओर ताकते रहे जो बचा नहीं सकी।१८. लोग हमारे पीछे ऐसे पड़े कि हम अपने नगर के चौकों में भी नहीं चल सके; हमारा अन्त निकट आया; हमारी आयु पूरी हुई; क्योंकि हमारा अन्त आ गया था।१९. हमारे खदेड़नेवाले आकाश के उकाबों से भी अधिक वेग से चलते थे; वे पहाड़ों पर हमारे पीछे पड़ गए और जंगल में हमारे लिये घात लगाकर बैठ गए।२०. यहोवा का अभिषिक्त जो हमारा प्राण था, और जिसके विषय हम ने सोचा था कि अन्यजातियों के बीच हम उसकी शरण में जीवित रहेंगे, वह उनके खोदे हुए गड़हों में पकड़ा गया।२१. हे एदोम की पुत्री, तू जो ऊज देश में रहती है, हर्षित और आनन्दित रह; परन्तु यह कटोरा तुझ तक भी पहुंचेगा, और तू मनवाली होकर अपने आप को नंगा करेगी।२२. हे यिरयोन की पुत्री, तेरे अधर्म का दण्ड समाप्त हुआ, वह फिर तुझे बंधुआई में न ले जाएगा; परन्तु हे एदोम की पुत्री, तेरे अधर्म का दण्ड वह तुझे देगा, वह तेरे पापों को प्रगट कर देगा।विलापगीत ५:१-२२१. हे यहोवा, स्मरण कर कि हम पर क्या क्या बीता है; हमारी ओर दृष्टि करके हमारी नामधराई को देख !२. हमारा भाग परदेशियों का हो गया ओर हमारे घर परायों के हो गए हैं।३. हम अनाथ और पिताहीन हो गए; हमारी माताएं विधवा सी हो गई हैं।४. हम मोल लेकर पानी पीते हैं, हम को लकड़ी भी दाम से मिलती है।५. खदेड़नेवाले हमारी गर्दन पर टूट पडे हैं; हम थक गए हैं, हमें विश्राम नहीं मिलता।६. हम स्वयं मिस्र के अधीन हो गए, और अश्शूर के भी, ताकि पेेट भर सकें।७. हमारे पुरखाओं ने पाप किया, ओर मर मिटे हैं; परन्तु उनके अधर्म के कामों का भार हम को उठाना पड़ा है।८. हमारे ऊपर दास अधिकार रखते हैं; उनके हाथ से कोई हमें नहीं छुड़ाता।९. जंगल में की तलवार के कारण हम अपने प्राण जोखिम में डालकर भोजनवस्तु ले आते हैं।१०. भूख की झुलसाने वाली आग के कारण, हमारा चमड़ा तंदूर की नाई काला हो गया है।११. सिरयोन में स्त्रियां, और यहूदा के नगरों में कुमारियां भ्रष्ट की गई हैं।१२. हाकिम हाथ के बल टांगे गए हैं; और पुरनियों का कुछ भी आदर नहीं किया गया।१३. जवानों को चक्की चलानी पड़ती है; और लड़केबाले लकड़ी का बोझ उठाते हुए लडखड़ाते हैं।१४. अब फाटक पर पुरनिये नहीं बैठते, न जवानों का गीत सुनाई पड़ता है।१५. हमारे मन का हर्ष जाता रहा, हमारा नाचना विलाप में बदल गया है।१६. हमारे सिर पर का मुकुट गिर पड़ा हे; हम पर हाय, क्योंकि हम ने पाप किया है !१७. इस कारण हमारा हृदय निर्बल हो गया है, इन्हीं बातों से हमारी आंखें धुंधली पड़ गई हैं,१८. क्योंकि सिरयोन पर्वत उजाड़ पड़ा है; उस में सियार घूमते हैं।१९. परन्तु हे यहोवा, तू तो सदा तक विराजमान रहेगा; तेरा राज्य पीढ़ी- पीढ़ी बना रहेगा।२०. तू ने क्यों हम को सदा के लिये भुला दिया है, और क्यों बहुत काल के लिये हमें छोड़ दिया है?२१. हे यहोवा, हम को अपनी ओर फेर, तब हम फिर सुधर जाएंगे। प्राचीनकाल की नाई हमारे दिन बदलकर ज्यों के त्यों कर दे !२२. क्या तू ने हमें बिल्कुल त्याग दिया हे? क्या तू हम से अत्यन्त क्रोधित है?भजन संहिता ११९:१४५-१५२१४५. मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूंगा।१४६. मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूंगा।१४७. मैं ने पौ फटने से पहिले दोहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी।१४८. मेरी आंखें रात के एक एक पहर से पहिले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूं।१४९. अपनी करूणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी रीति के अनुसार मुझे जीवित कर।१५०. जो दुष्टता में धुन लगाते हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं।१५१. हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएं सत्य हैं।१५२. बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूं, कि तू ने उनकी नेव सदा के लिये डाली है।।नीतिवचन २८:११-११११. धनी पुरूष अपनी दृष्टि में बुद्धिमान होता है, परन्तु समझदार कंगाल उसका मर्म बूझ लेता है।फिलेमोन १:१-२५१. पौलुस की ओर से जो मसीह यीशु का कैदी है, और भाई तिमुथियुस की ओर से हमारे प्रिय सहकर्मी फिलेमोन।२. और बहिन अफफिया, और हमारे साथी योद्धा अरखिप्पुस और फिलेमोन के घर की कलीसिया के नाम।।३. हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह और शान्ति तुम्हें मिलती रहे।।४. मैं तेरे उस प्रेम और विश्वास की चर्चा सुनकर, जो सब पवित्रा लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है।५. सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं; और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूं।६. कि तेरा विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो।७. क्योंकि हे भाई, मुझे तेरे प्रेम से बहुत आनन्द और शान्ति मिली, इसलिये, कि तेरे द्वारा पवित्रा लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं।।८. इसलिये यद्यपि मुझे मसीह में बड़ा हियाव तो है, कि जो बात ठीक है, उस की आज्ञा तुझे दूं।९. तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी हूं, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से बिनती करूं।१०. मैं अपने बच्चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं।११. वह तो पहिले तेरे कुछ काम का न था, पर अब तेरे और मेरे दोनों के बड़े काम का है।१२. उसी को अर्थात् जो मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं ने उसे तेरे पास लौटा दिया है।१३. उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था कि तेरी ओर से इस कैद में जो सुसमाचार के कारण हैं, मेरी सेवा करे।१४. पर मैं ने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनन्द से हो।१५. क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे।१६. परन्तु अब से दास की नाई नहीं, बरन दास से भी उत्तम, अर्थात् भाई के समान हरे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो।१७. सो यदि तू मुझे सहभागी समझता है, तो उसे इस प्रकार ग्रहण कर जैसे मुझे।१८. और यदि उस ने तेरी कुछ हानि की है, या उस पर तेरा कुछ आता है, तो मेरे नाम पर लिख ले।१९. मैं पौलुस अपने हाथ से लिखता हूं, कि मैं आप भर दूंगा; और हम के कहने की कुछ आवश्यकता नहीं, कि मेरा कर्ज जो तुझ पर है वह तू ही है।२०. हे भाई यह आनन्द मुझे प्रभु में तेरी ओर से मिले : मसीह में मेरे जी को हरा भरा कर दे।२१. मैं तेरे आज्ञाकारी होने का भरोसा रखकर, तुझे लिखता हूं और यह जानता हूं, कि जो कुछ मैं कहता हूं, तू उस से कहीं बढ़कर करेगा।२२. और यह भी, कि मेरे लिये उतरने की जगह तैयार रख; मुझे आशा है, कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के द्वारा मैं तुम्हें दे दिया जाऊंगा।।२३. इपफ्रास जो मसीह यीशु में मेरे साथ कैदी है।२४. और मरकुस और अरिस्तर्खुस और देमास और लूका जो मेरे सहकर्मी है इन का तुझे नमस्कार।।२५. हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा पर होता रहे। आमीन।। Hindi Bible (HHBD) Public Domain: Hindi (HHBD) No Info on year