एक साल में बाइबल मई 18यूहन्ना 5:24-4724. “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे हमर बात सुनैत अछि और हमरा पठाबऽ वला केँ मानैत अछि तकरा अनन्त जीवन छैक। ओकरा न्यायक सामना नहि करऽ पड़तैक, कारण ओ एखने मृत्यु केँ पार भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश कऽ लेने अछि।25. हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे ओ समय आबि रहल अछि, हँ, आबिओ गेल जखन मुइल सभ परमेश्वरक पुत्रक आवाज सुनत, और जे सभ सुनत से सभ जीअत,26. किएक तँ जहिना पिता अपने जीवनक स्रोत छथि तहिना ओ पुत्रो केँ स्वयं जीवनक स्रोत होयबाक अधिकार देने छथिन।27. और ओ पुत्र केँ मनुष्य-पुत्र होयबाक कारणेँ न्याय करबाक अधिकार सेहो देने छथिन।28. एहि बात सँ आश्चर्यित नहि होउ! कारण, ओ समय आबि रहल अछि जहिया मरलाहा लोक सभ अपन कबर मे सँ हुनकर आवाज सुनि कऽ29. बाहर निकलि आओत। जे नीक कयने अछि से जीवनक लेल उठत, और जे अधलाह कयने अछि से दण्ड पयबाक लेल उठत।30. हम अपने सँ किछु नहि कऽ सकैत छी। हमरा जहिना न्याय करबाक लेल कहल जाइत अछि तहिना हम न्याय करैत छी। और हमर न्याय उचित होइत अछि, कारण हमर उद्देश्य ई अछि जे हम अपन नहि, बल्कि हमरा जे पठौलनि, तिनकर इच्छा पूरा करियनि।31. “जँ हम अपना बारे मे स्वयं गवाही देब तँ हमर गवाही पकिया नहि मानल जायत।32. मुदा एक गोटे आओर छथि जे हमरा बारे मे गवाही दैत छथि, और हम जनैत छी जे ओ जे गवाही दैत छथि से एकदम सत्य अछि।33. “अहाँ सभ अपने यूहन्ना केँ पुछबौलहुँ, और ओ सत्यक गवाही देलनि।34. ई बात नहि अछि जे हम मनुष्यक गवाही पर निर्भर रहैत छी, मुदा हम एकर चर्चा एहि लेल करैत छी जे अहाँ सभक उद्धार होअय।35. यूहन्ना तँ एक जरैत दीप छलाह जे इजोत दैत छलाह, और हुनकर इजोत मे आनन्द लेनाइ अहाँ सभ केँ किछु काल धरि नीक लागल।36. मुदा हमरा एकटा गवाही अछि जे यूहन्नोक गवाही सँ पैघ अछि, किएक तँ जे काज हमर पिता हमरा पूर्ण करबाक लेल देने छथि, तथा जे काज हम कऽ सेहो रहल छी, से हमरा बारे मे गवाही दैत अछि जे पिता हमरा पठौने छथि।37. और पिता, जे हमरा पठौलनि, से अपने हमरा बारे मे गवाही देने छथि। अहाँ सभ हुनकर आवाज कहियो नहि सुनने छी, आ ने हुनकर स्वरूप कहियो देखने छी,38. और ने हुनकर वचन केँ अपना मोन मे रहऽ दैत छी। कारण, जिनका ओ पठौने छथि तिनकर अहाँ सभ विश्वास नहि करैत छी।39. अहाँ सभ धर्मशास्त्रक अध्ययन करैत छी किएक तँ अहाँ सभ मानैत छी जे ओहि सँ अहाँ सभ केँ अनन्त जीवन भेटैत अछि। वैह शास्त्र हमरा बारे मे गवाही दैत अछि,40. और तैयो जीवन प्राप्त करबाक लेल अहाँ सभ हमरा लग नहि आबऽ चाहैत छी।41. “हमरा मनुष्यक प्रशंसा सँ कोनो मतलब नहि।42. मुदा अहाँ सभ केँ हम जनैत छी। हम जनैत छी जे अहाँ सभक हृदय मे परमेश्वरक प्रेम नहि अछि।43. हम अपन पिताक नाम पर आयल छी, तैयो हमरा स्वीकार नहि करैत छी। मुदा जँ कोनो दोसर व्यक्ति अपना नाम पर अबैत अछि तँ ओकरा अहाँ सभ स्वीकार करैत छिऐक।44. तँ अहाँ सभ विश्वास कोना कऽ सकब जखन कि एक-दोसर सँ प्रशंसा चाहैत छी लेकिन जे प्रशंसा एकमात्र परमेश्वर सँ प्राप्त होइत अछि से चाहिते नहि छी?45. “मुदा ई नहि सोचू जे हम पिताक समक्ष अहाँ सभ पर दोष लगायब। अहाँ सभ केँ दोष लगाबऽ वला मूसा छथि, जिनका पर अहाँ सभ समस्त आशा रखने छी।46. जँ मूसाक विश्वास करितहुँ तँ हमरो विश्वास करितहुँ, कारण ओ हमरे बारे मे लिखने छथि।47. मुदा हुनकर लेख पर जँ विश्वास नहि करैत छी तँ हमर कथन पर कोना विश्वास करब?” Maithili Bible 2010 ©2010 The Bible Society of India and WBT