बाइबिल संस्करण की तुलना करें रूसी बेलारूसी यूक्रेनी पोलिश सर्बियाई बल्गेरियाई स्लोवाकियाई चेक रोमानियाई माल्डोवियाई आज़रबाइजान अर्मेनियाई जॉर्जियाई अल्बानियन अवार बशख़िर टाटर चेचन स्लोवेनियाई क्रोएशियाई एस्तोनियावासी लात्वीयावासी लिथुआनियाई हंगेरी किरगिज़ उज़बेक ताजिक तुक्रमेन फिनिश नार्वेजियन स्वीडिश आइसलैंडिक यूनानी मेसीडोनियन यहूदी जर्मन बवेरियन डच डेनिश वेल्श गेलिक आयरिश फ्रेंच बस्क कैटलन इतालवी स्पेनिश गालेशियाई Bosnian Kabardian गुआरानी जमैका पुर्तगाली नहुआत्ल किचे Q'eqchi क्वेचुआन न्यूजीलैंड मलेशियाई पापुआ न्यू गिनी तुर्की हिंदी Оdia अवधी मिजो कन्नड़ मलयालम मराठी गुजराती तामिल तेलुगू पंजाबी डोगरी हरियाणवी कोंकणी मीतेई संताली सिंधी कुरुख असमिया मैथिली Adilabad Gondi Ahirani बलूची Bundeli Chhattisgarhi Garhwali Kangri Kumaoni Mewari Munda Sadri Seraiki Shekhawati Sylheti Bagri Bhilali Bodo Braj Tulu बर्मी हखा चिन नेपाली सिबुआनो तागालोग कम्बोडियन Lao कजाखस्तान थाई अफ्रीकी षोसा ज़ुलु नेबेले सोथो अम्हारिक् वोलयट्टा नाइजीरियाई मोस्सी इका दिन्का अल्जीरियाई भेड़ स्वाहिली मोरक्को सोमालियाई सोणा मेडागास्कर रोमानी ईग्बो लिंगाला Baoulé सिस्वाती सोंगा सेत्स्वाना गाम्बिया कुर्द Mazanderani योरूबा कंबा किन्यारवाण्डा होउसा चेवा हाईटियन लुओ मकुआ द्युला फुलफुलडे कलेंजिन किकुयू किकवांगो किरुंडी क्रियो नाइजीरियाई पिजिन मोबा नुएर शिलुक तमाशेक ओरोमो तशिलूबा त्शिवेंदा ट्वी उंबुंदु लुगबारा पुलर गुस्सी Bemba Fon Hadiyya Ibibio Kimbundu Kimiiru Lango Liberian Kreyol Lomwe Mende Morisyen Ndau Nyankole Sena Sidamo Soga Songe Sukuma Tarifit Teso Tiv Zande Edo Kituba मासाई तुर्काना लुगुरु आयमारा बंगाली उर्दू अरबी फ़ारसी पश्तो उईघुर इन्डोनेशियाई सुंडानी Aceh Balinese Bugis Pampanga Sasak Shan Waray Madurese इबान इयू मियां काचिन कारकल्पक कोया लहु थाडो मकोंडे संस्कृत देवनागरी वियतनामी चीनी हमोंग Tibetian जापानी जावानीस सिंहली मंगोलियन कोरियाई अंग्रेज़ी इब्रानी लैटिन एस्पेरांतो कॉप्टिक मत्ती उत्पत्तिनिर्गमनलैव्यव्यवस्थागिनतीव्यवस्था विवरणयहोशून्यायियोंरूत१ शमूएल२ शमूएल१ राजा२ राजा१ इतिहास२ इतिहासएज्रानहेमायाहएस्तेरअय्यूबभजन संहितानीतिवचनसभोपदेशकश्रेष्ठगीतयशायाहयिर्मयाहविलापगीतयहेजकेलदानिय्येलहोशेयोएलआमोसओबद्याहयोनामीकानहूमहबक्कूकसपन्याहहाग्गैजकर्याहमलाकी--- --- ---मत्तीमरकुसलूकायूहन्नाप्रेरितों के कामरोमियों१ कुरिन्थियों२ कुरिन्थियोंगलातियोंइफिसियोंफिलिप्पियोंकुलुस्सियों१ थिस्सलुनीकियों२ थिस्सलुनीकियों१ तीमुथियुस२ तीमुथियुसतीतुसफिलेमोनइब्रानियोंयाकूब१ पतरस२ पतरस१ यूहन्ना२ यूहन्ना३ यूहन्नायहूदाप्रकाशित वाक्य ९ १२३४५६७८९१०१११२१३१४१५१६१७१८१९२०२१२२२३२४२५२६२७२८1 1 1 १ १२३४५६७८९१०१११२१३१४१५१६१७१८१९२०२१२२२३२४२५२६२७२८२९३०३१३२३३३४३५३६३७३८1 1 1 - ३५ १२३४५६७८९१०१११२१३१४१५१६१७१८१९२०२१२२२३२४२५२६२७२८२९३०३१३२३३३४३५३६३७३८1 1 1 १फिर यीशु ने नाव पर चढ़कर झील पार की और अपने नगर में आया।२और देखो, कुछ लोग एक लकवे के रोगी को खाट पर लिटाकर उसके पास लाए। तब यीशु ने उनके विश्वास को देखकर उस लकवे के रोगी से कहा, “पुत्र, साहस रख; तेरे पाप क्षमा हुए।”३और देखो, कुछ शास्त्रियों ने अपने मन में कहा, “यह तो परमेश्वर की निंदा कर रहा है।”४उनके विचारों को जानकर यीशु ने कहा, “तुम अपने मन में बुरा विचार क्यों कर रहे हो?५सहज क्या है? यह कहना, ‘तेरे पाप क्षमा हुए’ या यह कहना, ‘उठ और चल फिर’?६अब इससे तुम जान जाओ कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है।” तब उसने उस लकवे के रोगी से कहा, “उठ, अपनी खाट उठा और अपने घर चला जा।”७और वह उठकर अपने घर चला गया।८यह देखकर लोगों पर भय छा गया और उन्होंने परमेश्वर की महिमा की, जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया।९वहाँ से आगे बढ़ने पर यीशु ने मत्ती नामक एक मनुष्य को कर-चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” और वह उठकर उसके पीछे हो लिया।१०फिर ऐसा हुआ कि जब यीशु घर में भोजन करने बैठा, तो देखो, बहुत से कर वसूलनेवाले और पापी आकर यीशु और उसके शिष्यों के साथ भोजन करने लगे।११यह देखकर फरीसी उसके शिष्यों से कहने लगे, “तुम्हारा गुरु कर वसूलनेवालों और पापियों के साथ क्यों भोजन करता है?”१२यह सुनकर यीशु ने कहा, “वैद्य की आवश्यकता स्वस्थ लोगों को नहीं बल्कि बीमारों को है।१३तुम जाकर इसका अर्थ सीखो: मैं दया चाहता हूँ, बलिदान नहीं; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं बल्कि पापियों को बुलाने आया हूँ।”१४तब यूहन्ना के शिष्यों ने उसके पास आकर कहा, “क्या कारण है कि हम और फरीसी तो बहुत उपवास करते हैं, परंतु तेरे शिष्य उपवास नहीं करते?”१५तब यीशु ने उनसे कहा, “जब दूल्हा बरातियों के साथ है, तो क्या वे शोक मना सकते हैं? परंतु वे दिन आएँगे जब दूल्हा उनसे अलग कर दिया जाएगा, तब वे उपवास करेंगे।१६पुराने वस्त्र पर कोई नए कपड़े का पैवंद नहीं लगाता, क्योंकि पैवंद से वह वस्त्र खिंच जाएगा और पहले से भी अधिक फट जाएगा।१७कोई पुरानी मशकों में नया दाखरस भर कर नहीं रखता, नहीं तो मशकें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नष्ट हो जाती हैं; इसलिए नया दाखरस नई मशकों में भरते हैं और वे दोनों सुरक्षित रहते हैं।”१८जब वह इन बातों को उनसे कह ही रहा था कि देखो, एक अधिकारी आया और उसे दंडवत् करके कहने लगा, “मेरी बेटी अभी मरी है; परंतु तू आकर उस पर अपना हाथ रख दे, और वह जीवित हो जाएगी।”१९तब यीशु उठकर अपने शिष्यों के साथ उसके पीछे चल दिया।२०और देखो, एक स्त्री ने जो बारह वर्ष से रक्तस्राव से पीड़ित थी, पीछे से आकर यीशु के वस्त्र का किनारा छू लिया।२१क्योंकि वह अपने मन में कहती थी, “यदि मैं उसके वस्त्र को ही छू लूँगी तो स्वस्थ हो जाऊँगी।”२२तब यीशु ने मुड़कर उसे देखा और कहा, “बेटी, साहस रख, तेरे विश्वास ने तुझे स्वस्थ कर दिया है।” और वह स्त्री उसी घड़ी स्वस्थ हो गई।२३जब यीशु अधिकारी के घर पहुँचा, तो बाँसुरी बजानेवालों और भीड़ को कोलाहल मचाते देखकर२४कहा, “चले जाओ, क्योंकि लड़की मरी नहीं परंतु सो रही है।” इस पर वे उसकी हँसी उड़ाने लगे।२५परंतु जब वह भीड़ निकाल दी गई, तो यीशु ने भीतर आकर उस लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जीवित हो गई।२६तब इस बात की चर्चा उस सारे प्रदेश में फैल गई।२७जब यीशु वहाँ से आगे बढ़ा, तो दो अंधे व्यक्ति चिल्लाते हुए उसके पीछे आए, “दाऊद के पुत्र, हम पर दया कर।”२८घर पहुँचने पर वे अंधे व्यक्ति उसके पास आए। यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम विश्वास करते हो कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ, प्रभु।”२९तब उसने यह कहते हुए उनकी आँखें छुईं, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिए हो।”३०और उनकी आँखें खुल गईं। तब यीशु ने उन्हें कड़ी चेतावनी दी, “देखो, इस बात को कोई न जाने।”३१परंतु उन्होंने बाहर जाकर उस सारे प्रदेश में उसकी चर्चा फैला दी।३२जब वे बाहर निकल रहे थे तो देखो, लोग दुष्टात्माग्रस्त एक गूँगे मनुष्य को उसके पास लाए;३३और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो वह गूँगा मनुष्य बोलने लगा। इस पर लोगों को आश्चर्य हुआ और वे कहने लगे, “इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।”३४परंतु फरीसी कहने लगे, “वह दुष्टात्माओं के प्रधान के द्वारा दुष्टात्माओं को निकालता है।”३५यीशु सब नगरों और गाँवों में जा जाकर उनके आराधनालयों में उपदेश देता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और हर प्रकार की दुर्बलता को दूर करता रहा।Hindi Bible HSB HINDI STANDARD BIBLE© Copyright © 2023 by Global Bible Initiative१इसलिये येशु नाव में सवार होकर झील पार करके अपने ही नगर में आ गए.२कुछ लोग एक लकवा पीड़ित को बिछौने पर उनके पास लाए. उनका विश्वास देख येशु ने रोगी से कहा, “तुम्हारे लिए यह आनंद का विषय है: तुम्हारे पाप क्षमा हो गए हैं.”३कुछ शास्त्री आपस में कहने लगे, “यह तो परमेश्वर की निंदा कर रहा है!”४उनके विचारों का अहसास होने पर येशु उन्हें संबोधित कर बोले, “क्यों अपने मनों में बुरा विचार कर रहे हो?५क्या कहना सरल है, ‘तुम्हारे पाप क्षमा हो गए’ या ‘उठो, चलने लगो?’६किंतु इसका उद्देश्य यह है कि तुम्हें यह मालूम हो जाए कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा का अधिकार सौंपा गया है.” तब रोगी से येशु ने कहा, “उठो, अपना बिछौना उठाओ और अपने घर जाओ.”७वह उठा और घर चला गया.८यह देख भीड़ हैरान रह गई और परमेश्वर का गुणगान करने लगी, जिन्होंने मनुष्यों को इस प्रकार का अधिकार दिया है.९वहां से जाने के बाद येशु ने चुंगी लेनेवाले के आसन पर बैठे हुए एक व्यक्ति को देखा, जिसका नाम मत्तियाह था. येशु ने उसे आज्ञा दी, “मेरे पीछे हो ले.” मत्तियाह उठकर येशु के साथ हो लिए.१०जब येशु भोजन के लिए बैठे थे, अनेक चुंगी लेनेवाले तथा अपराधी व्यक्ति भी उनके साथ शामिल थे.११यह देख फ़रीसियों ने आपत्ति उठाते हुए येशु के शिष्यों से कहा, “तुम्हारे गुरु चुंगी लेनेवाले और अपराधी व्यक्तियों के साथ भोजन क्यों करते हैं?”१२यह सुन येशु ने स्पष्ट किया, “चिकित्सक की ज़रूरत स्वस्थ व्यक्ति को नहीं परंतु रोगी व्यक्ति को होती है.१३अब जाओ और इस कहावत का अर्थ समझो: ‘मैं बलिदान से नहीं, पर दया से प्रसन्न होता हूं,’ क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परंतु पापियों को बुलाने के लिए इस पृथ्वी पर आया हूं.”१४बपतिस्मा देनेवाले योहन के शिष्य येशु के पास आए और उनसे प्रश्न किया, “क्या कारण है कि फ़रीसी और हम तो उपवास करते हैं किंतु आपके शिष्य नहीं?”१५येशु ने उन्हें समझाया: “क्या यह संभव है कि दुल्हे के होते हुए बाराती विलाप करें? हां, ऐसा समय आएगा जब दूल्हा उनसे अलग कर दिया जाएगा—तब वे उपवास करेंगे.१६“पुराने वस्त्र में कोई भी नये कपड़े का जोड़ नहीं लगाता, नहीं तो कोरा वस्त्र का जोड़ सिकुड़ कर वस्त्र से अलग हो जाता है और वस्त्र और भी अधिक फट जाता है.१७वैसे ही लोग नए दाखरस को पुरानी मशकों में नहीं रखते; अन्यथा वे फट जाती हैं और दाखरस तो बहकर नाश हो ही जाता है, साथ ही मशके भी. नया दाखरस नई मशकों में ही रखा जाता है. परिणामस्वरूप दोनों ही सुरक्षित रहते हैं.”१८जब येशु उन लोगों से इन विषयों पर बातचीत कर रहे थे, यहूदी सभागृह का एक अधिकारी उनके पास आया और उनके सामने झुककर विनती करने लगा, “कुछ देर पहले ही मेरी पुत्री की मृत्यु हुई है. आप कृपया आकर उस पर हाथ रख दीजिए और वह जीवित हो जाएगी.”१९येशु और उनके शिष्य उसके साथ चले गए.२०मार्ग में बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ,२१क्योंकि उसने अपने मन में यह कहा था: “यदि मैं उनके वस्त्र को भी छू लूं, तो मैं रोगमुक्त हो जाऊंगी.”२२येशु ने पीछे मुड़कर उसे देखा और उससे कहा, “तुम्हारे लिए यह आनंद का विषय है: तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ कर दिया.” उसी क्षण वह स्त्री स्वस्थ हो गई.२३जब येशु यहूदी सभागृह के अधिकारी के घर पर पहुंचे तो उन्होंने भीड़ का कोलाहल और बांसुरी वादक शोक-संगीत बजाते हुए भी सुना.२४इसलिये उन्होंने आज्ञा दी, “यहां से चले जाओ क्योंकि बालिका की मृत्यु नहीं हुई है—वह सो रही है.” इस पर वे येशु का ठट्ठा करने लगे,२५किंतु जब भीड़ को बाहर निकाल दिया गया, येशु ने कक्ष में प्रवेश कर बालिका का हाथ पकड़ा और वह उठ बैठी.२६यह समाचार सारे क्षेत्र में फैल गया.२७जब येशु वहां से विदा हुए, दो अंधे व्यक्ति यह पुकारते हुए उनके पीछे चलने लगे, “दावीद-पुत्र, हम पर कृपा कीजिए!”२८जब येशु ने घर में प्रवेश किया वे अंधे भी उनके पास पहुंच गए. येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मुझमें यह करने का सामर्थ्य है?” उन्होंने उत्तर दिया, “जी हां, प्रभु.”२९तब येशु ने यह कहते हुए उनके नेत्रों का स्पर्श किया, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारी इच्छा पूरी हो,”३०और उन्हें दृष्टि प्राप्त हो गई. येशु ने उन्हें कड़ी चेतावनी दी, “यह ध्यान रखना कि इसके विषय में किसी को मालूम न होने पाए!”३१किंतु उन्होंने जाकर सभी क्षेत्र में येशु के विषय में यह समाचार प्रसारित कर दिया.३२जब वे सब वहां से बाहर निकल रहे थे, उनके सामने एक गूंगा व्यक्ति, जो दुष्टात्मा से पीड़ित था, लाया गया.३३दुष्टात्मा के निकल जाने के बाद वह बातें करने लगा. यह देख भीड़ चकित रह गई और कहने लगी, “इससे पहले इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया.”३४जबकि फ़रीसी कह रहे थे, “यह दुष्टात्मा का निकालना दुष्टात्मा के प्रधान की सहायता से करता है.”३५येशु नगर-नगर और गांव-गांव की यात्रा कर रहे थे. वह उनके यहूदी सभागृहों में शिक्षा देते, स्वर्ग-राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते तथा हर एक प्रकार के रोग और दुर्बलताओं को स्वस्थ करते जा रहे थे.Hindi Bible HSS The Holy Bible, Hindi Contemporary Version Copyright © 1978, 2009, 2016, 2019 by Biblica, Inc.® Used by permission of Biblica, Inc.® worldwide. पवित्र बाइबिल, हिंदी समकालीन संस्करण © 1978, 2009, 2016, 2019 Biblica, Inc.® Biblica, Inc.® की अनुमति से उपयोग किया जाता है. दुनिया भर में आरक्षित सभी अधिकार.१फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया, और अपने नगर में आया।२और कई लोग एक लकवे के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए। यीशु ने उनका विश्वास देखकर, उस लकवे के मारे हुए से कहा, “हे पुत्र, धैर्य रख; तेरे पाप क्षमा हुए।”३और कई शास्त्रियों ने सोचा, “यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है।”४यीशु ने उनके मन की बातें जानकर कहा, “तुम लोग अपने-अपने मन में बुरा विचार क्यों कर रहे हो?५सहज क्या है? यह कहना, ‘तेरे पाप क्षमा हुए’, या यह कहना, ‘उठ और चल फिर।’६परन्तु इसलिए कि तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है।” उसने लकवे के मारे हुए से कहा, “उठ, अपनी खाट उठा, और अपने घर चला जा।”७वह उठकर अपने घर चला गया।८लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा करने लगे जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया है।९वहाँ से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती नामक एक मनुष्य को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” वह उठकर उसके पीछे हो लिया।१०और जब वह घर में भोजन करने के लिये बैठा तो बहुत सारे चुंगी लेनेवाले और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे।११यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा, “तुम्हारा गुरु चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?”१२यह सुनकर यीशु ने उनसे कहा, “वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक है।१३इसलिए तुम जाकर इसका अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूँ; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।”१४तब यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा, “क्या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते?”१५यीशु ने उनसे कहा, “क्या बाराती, जब तक दूल्हा उनके साथ है शोक कर सकते हैं? पर वे दिन आएँगे कि दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे।१६नये कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबन्द वस्त्र से और कुछ खींच लेता है, और वह अधिक फट जाता है।१७और लोग नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं; क्योंकि ऐसा करने से मशकें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नाश हो जाती हैं, परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरते हैं और वह दोनों बची रहती हैं।”१८वह उनसे ये बातें कह ही रहा था, कि एक सरदार ने आकर उसे प्रणाम किया और कहा, “मेरी पुत्री अभी मरी है; परन्तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी।”१९यीशु उठकर अपने चेलों समेत उसके पीछे हो लिया।२०और देखो, एक स्त्री ने जिसके बारह वर्ष से लहू बहता था, उसके पीछे से आकर उसके वस्त्र के कोने को छू लिया।२१क्योंकि वह अपने मन में कहती थी, “यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी तो चंगी हो जाऊँगी।”२२यीशु ने मुड़कर उसे देखा और कहा, “पुत्री धैर्य रख; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।” अतः वह स्त्री उसी समय चंगी हो गई।२३जब यीशु उस सरदार के घर में पहुँचा और बाँसुरी बजानेवालों और भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा,२४तब कहा, “हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है।” इस पर वे उसकी हँसी उड़ाने लगे।२५परन्तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उसने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी।२६और इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।२७जब यीशु वहाँ से आगे बढ़ा, तो दो अंधे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, “हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।”२८जब वह घर में पहुँचा, तो वे अंधे उसके पास आए, और यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ प्रभु।”२९तब उसने उनकी आँखें छूकर कहा, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।”३०और उनकी आँखें खुल गई और यीशु ने उन्हें सख्ती के साथ सचेत किया और कहा, “सावधान, कोई इस बात को न जाने।”३१पर उन्होंने निकलकर सारे क्षेत्र में उसका यश फैला दिया।३२जब वे बाहर जा रहे थे, तब, लोग एक गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी उसके पास लाए।३३और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूँगा बोलने लगा। और भीड़ ने अचम्भा करके कहा, “इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।”३४परन्तु फरीसियों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”३५और यीशु सब नगरों और गाँवों में फिरता रहा और उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।Hindi Bible IRV 2019 Copyright © 2017, 2018 Bridge Connectivity Solutions१फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया, और अपने नगर में आया।२और देखो, कई लोग एक झोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए। यीशु ने उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा, “हे पुत्र, ढाढ़स बान्ध; तेरे पाप क्षमा हुए।”३और देखो, कई शास्त्रियों ने सोचा, कि यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है।४यीशु ने उनके मन की बातें मालूम करके कहा, “तुम लोग अपने-अपने मन में बुरा विचार क्यों कर रहे हो?५सहज क्या है? यह कहना, कि तेरे पाप क्षमा हुए; या यह कहना कि उठ और चल फिर।६परन्तु इसलिये कि तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है। उसने झोले के मारे हुए से कहा: उठ, अपनी खाट उठा, और अपने घर चला जा।”७वह उठकर अपने घर चला गया।८लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा करने लगे जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया है।९वहाँ से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती नाम एक मनुष्य को महसूल की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” वह उठकर उसके पीछे हो लिया।१०और जब वह घर में भोजन करने के लिये बैठा तो बहुतेरे महसूल लेनेवालें और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे।११यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा, “तुम्हारा गुरू महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?”१२यह सुनकर यीशु ने उनसे कहा, “वैद्द भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक है।१३इसलिए तुम जाकर इसका अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूँ; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।”१४तब यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा, “क्या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते?”१५यीशु ने उनसे कहा, “क्या बराती, जब तक दुल्हा उनके साथ है शोक कर सकते हैं? पर वे दिन आएँगे कि दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे।१६कोरे कपड़े का पैवन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता, क्योंकि वह पैवन्द वस्त्र से और कुछ खींच लेता है, और वह अधिक फट जाता है।१७और नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं; क्योंकि ऐसा करने से मशकें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नाश हो जाती हैं, परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरते हैं और वह दोनों बची रहती हैं।”१८वह उनसे ये बातें कह ही रहा था, कि देखो, एक सरदार ने आकर उसे प्रणाम किया और कहा, “मेरी पुत्री अभी मरी है; परन्तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी।”१९यीशु उठकर अपने चेलों समेत उसके पीछे हो लिया।२०और देखो, एक स्त्री ने जिसके बारह वर्ष से लहू बहता था, उसके पीछे से आकर उसके वस्त्र के आँचल को छू लिया।२१क्योंकि वह अपने मन में कहती थी कि यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी तो चंगी हो जाऊँगी।२२यीशु ने फिरकर उसे देखा और कहा, “पुत्री ढाढ़स बान्ध; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।” अतः वह स्त्री उसी घड़ी चंगी हो गई।२३जब यीशु उस सरदार के घर में पहुँचा और बाँसली बजानेवालों और भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा,२४तब कहा, “हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है।” इस पर वे उसकी हँसी करने लगे।२५परन्तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उसने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी।२६और इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।२७जब यीशु वहाँ से आगे बढ़ा, तो दो अन्धे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, कि हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।२८जब वह घर में पहुँचा, तो वे अन्धे उस के पास आए, और यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ प्रभु।”२९तब उसने उनकी आँखे छूकर कहा, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।”३०और उनकी आँखे खुल गई और यीशु ने उन्हें चिताकर कहा, “सावधान, कोई इस बात को न जाने।”३१पर उन्होंने निकलकर सारे देश में उसका यश फैला दिया।३२जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी उस के पास लाए।३३और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूंगा बोलने लगा। और भीड़ ने अचम्भा करके कहा कि इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।३४परन्तु फरीसियों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”३५और यीशु सब नगरों और गाँवों में फिरता रहा और उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।Hindi Bible 2017 Copyright © 2017 Bridge Connectivity Solutions. Released under the Creative Commons Attribution No Derivatives license 4.0१Yeeshu bauṭ meñ beiṭh ke u paar aapan gaaoñ meñ gais.२Huañ pe kuchh log ek lakwa se bimaar admi ke khaṭia pe rakh ke Yeeshu ke lage laain. Yeeshu ulog ke biswaas dekh ke u bimaria se bolis, “Hamaar dost, wari nai karo! Tumhaar paap maafi hoy gay hei.”३I sun ke Maozas ke kaanuun ke guru log apne meñ bolin, “I Parmeshwar ke buraai kare hei.”४Yeeshu ulog ke man ke baat jaan ke bolis, “Tum log aapan man meñ etna kharaab kaahe ke sochta hei?”५Sahaj kon cheej hei? I bole ke ki tumhaar paap maafi hoy gais ki i bole ke ki uṭho aur chalo firo.६Lekin tum sab ke dekhaayga ki Manush ke laṛka ke hak mila hei ki u dunia meñ paap ke maaf kare.” Aur Yeeshu u admi se bolis, “Aapan khaṭia uṭhaao aur aapan ghare chala jaao.”७U uṭh ke aapan ghare chala gais.८I dekh ke sab log ḍar gain aur Parmeshwar ke gun gaay lagin jon admi ke eisan kaam kare ke hak dees hei.९Jab Yeeshu huañ se chala gais, tab aage baṛh ke u Methiu naam ke ek admi ke ṭeks baṭorewaala kursi pe beiṭha dekhis. Yeeshu usse bolis, “Hamaar pichchhe aao.” Methiu uṭhis aur Yeeshu ke pichchhe hoy lees.१०Aur jab Yeeshu Methiu ke ghare khaana khaay laga tab aur dusra ṭeks baṭorewaala log aur kuchh paapi aur chela log bhi huañ uske sañghe khaana khaay lagin.११I sab dekh ke Farisi log uske chela log se bolin, “Tumhaar guru, ṭeks baṭorewaala aur paapi log ke sañghe kaahe khaay piye hei?”१२Yeeshu i sab sun ke ulog se bolis, “Bhala changa log ke ḍokṭa ke jaruurat nai howe hei lekin bimaria log ke jaruur howe hei.१३Yahi khaatir tum jaay ke seekho jab Baaibal bole hei, ‘Ham bali nai mañgta hei, lekin dusra ke uppar daya karo.’ Ham achchha log ke nai lekin paapi log ke bolaay aaya hei.”१४Tab ek roj Yuhanna Baptisma de waala ke chela log Yeeshu ke lage aay ke bole lagin, “Kaa kaaran hei ki ham aur Farisi etna upwaas rakhta hei, lekin tumhaar chela log to nai rakkhe hei?”१५Yeeshu ulog se bolis, “Jab tak dulha baraati ke sañghe rahe hei, kaa ulog dukh meñ rahe hei? Nai. Lekin ek roj aai jab dulha ulog se alag hoy jaai aur u ṭaaim ulog upwaas rakhiyeñ.१६Nawa kapṛa se puraana kapṛa pe chakti koi nai lagaawe hei, kaahe ke u chakti khichaay jaay hei aur kapṛa faṭ jaay hei.१७Aur nawa añguur ke ras bhi puraana chamṛa ke jholi meñ nai bhara jaay hei, kaahe ke eise kare se chamṛa ke jholi faṭ jaai. Lekin haañ, taaja añguur ke ras nawa jholi meñ bhara jaay hei, yahi kaaran duuno ṭheek rahe hei.१८Jab Yeeshu ulog se baat karat raha, tab ek ofisa aay ke uske saamne ghuṭna pe gir ke bolis, “Hamaar laṛki abhi abhi maris hei, lekin agar tum chal ke aur aapan haath uspe rakh deo to u jinda hoy jaai.”१९Yeeshu uṭh ke aapan chela log ke leke uske sañghe chal paṛis.२०Ek aurat jiske baarah saal se khuun bahat raha, pichchhe se aay ke Yeeshu ke kapṛa chhui lees.२१U aapan man meñ bolat rahis, “Agar ham khali uske kapṛa chhui lei to achchha hoy jaayga.”२२Yeeshu pichchhe ghuum ke uske dekhis aur bolis, “Beṭi, himmat rakkho, tumhaar biswaas tumme achchha kar dees hei.” U aurat wahi lage changi hoy gais.२३Jab Yeeshu u ofisa ke ghare pahuñchis tab dekhis ki log gaay bajaay aur rowe hei.२४U bolis, “Sab log bahire jaao! Laṛki mari nai hei. U khali sowe hei.” I baat pe sab log uske hasi uṛaay lagin.२५Lekin jab bheeṛ ke bahire bhej dewa gay tab Yeeshu bhittar jaay ke laṛki ke haath pakṛis aur u jinda hoy gais.२६I baat ke charcha sab des meñ feil gais.२७Jab Yeeshu huañ se aage gais to dui añdha log uske pichchhe i chillaate aur bolaate aain, “E Ḍeiviḍ ke laṛka, ham pe daya karo.”२८Jab u ghar meñ aais tab u dui añdha log uske lage aain. Yeeshu ulog se bolis, “Kaa tumme biswaas hei ki ham tum log ke ṭheek kare sakta hei?” Ulog bolin, “Haañ Prabhu.”२९Tab Yeeshu ulog ke aañkhi chhui ke bolis, “Tumhaar biswaas ke kaaran tum achchha hoy jaayga.”३०Aur ulog dekhe lagin. Yeeshu ulog ke samjhaais ki i baat koi se nai bataana.३१Lekin u duuno jurte huañ se nikar ke sab koi se bataay deen aur Yeeshu ke i kaam ke charcha sab des meñ feil gais.३२Jab ulog bahire jaat rahin, to kuchh log Yeeshu ke lage ek guuñga ke laain, jisman saitaan raha.३३Aur jab saitaan nikar gais, to guuñga bole laga. Aur sab bheeṛ chakit hoy ke bolin, “Israayel meñ to eise hote ham kabhi nai dekha.”३४Lekin Farisi log bolin, “Saitaan ke sardaar iske madat kare hei aur i saitaan ke bahire nikaare hei.”३५Yeeshu sab gaaoñ aur ṭaaun meñ ghuumat raha. Ulog ke meeṭing ke jagha meñ updes karte aur Parmeshwar ke raaj ke achchha khabar parchaar karte, aur ketna log ke bimaari aur rog ke duur karte raha.Hindi Fiji Bible Fiji Romanised Hindi © Bible Society of South Pacific, 2016१येशु नाव पर बैठ गये और झील को पार कर अपने नगर में आए।२उस समय कुछ लोग खाट पर पड़े हुए लकुवे के एक रोगी को उनके पास लाए। उनका विश्वास देख कर येशु ने लकुवे के रोगी से कहा, “पुत्र, धैर्य रखो! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये।”३कुछ शास्त्रियों ने मन में सोचा − यह तो ईश-निन्दा करता है।४उनके ये विचार जान कर येशु ने कहा, “तुम लोग मन में बुरे विचार क्यों ला रहे हो?५अधिक सहज क्या है − यह कहना, ‘तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं’ अथवा यह कहना, ‘उठो और चलो-फिरो’?६किन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है” − तब वह लकुवे के रोगी से बोले − “उठो और अपनी खाट उठा कर घर जाओ।”७और वह उठा और अपने घर चला गया।८यह देख कर लोग डर गए और परमेश्वर की स्तुति करने लगे, जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार प्रदान किया है।९येशु वहाँ से आगे बढ़े। उन्होंने मत्ती नामक व्यक्ति को चुंगी-घर में बैठा हुआ देखा और उससे कहा, “मेरे पीछे आओ”, और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया।१०जब येशु घर में भोजन करने बैठे तब अनेक चुंगी-अधिकारी और पापी जन आए। वे भी येशु और उनके शिष्यों के साथ भोज में सम्मिलित हो गए।११यह देख कर फरीसियों ने उनके शिष्यों से कहा, “तुम्हारे गुरु चुंगी-अधिकारियों और पापियों के साथ क्यों भोजन कर रहे हैं?”१२येशु ने यह सुन कर उन से कहा, “निरोगों को नहीं, किन्तु रोगियों को वैद्य की आवश्यकता होती है।१३जा कर सीखो कि इस कथन का क्या अर्थ है: ‘मैं बलिदान नहीं, बल्कि दया चाहता हूँ।’ मैं धार्मिकों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।”१४तब योहन के शिष्य आए और यह बोले, “क्या कारण है कि हम और फरीसी बहुत उपवास करते हैं, किन्तु आपके शिष्य उपवास नहीं करते?”१५येशु ने उन से कहा, “जब तक दूल्हा साथ है, क्या बाराती शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आएँगे, जब दूल्हा उन से ले लिया जाएगा। तब वे उपवास करेंगे।१६“कोई पुराने कपड़े पर कोरे कपड़े का पैबंद नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबंद सिकुड़ कर पुराना कपड़ा फाड़ देता है और चीर बढ़ जाती है।१७इसी प्रकार लोग पुरानी मशकों में नया दाखरस नहीं भरते। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, दाखरस बह जाता है और मशकें बरबाद हो जाती हैं। लोग नया दाखरस नयी मशकों में भरते हैं। इस प्रकार दोनों ही सुरक्षित रहते हैं।”१८येशु उन से ये बातें कह ही रहे थे कि एक अधिकारी आया। उसने येशु के सामने घुटने टेक कर यह कहा, “मेरी बेटी की अभी-अभी मृत्यु हुई है। फिर भी आप चल कर उस पर हाथ रखिए और वह जीवित हो जाएगी।”१९येशु उठ कर अपने शिष्यों के साथ उसके पीछे गए।२०उस समय एक स्त्री, जो बारह बरस से रक्तस्राव से पीड़ित थी, पीछे से आई और उसने येशु के वस्त्र के सिरे को छू लिया;२१क्योंकि उसने अपने मन में यह कहा था − यदि मैं उनका वस्त्र ही छू लूँगी तो स्वस्थ हो जाऊंगी।२२येशु ने मुड़ कर उसे देखा और कहा, “पुत्री, धैर्य रखो। तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ कर दिया है।” और वह स्त्री उसी क्षण स्वस्थ हो गयी।२३जब येशु अधिकारी के घर पहुँचे और बाँसुरी बजाने वालों को और लोगों को रोते-पीटते देखा२४तो बोले, “हट जाओ, बालिका नहीं मरी है वरन् सो रही है।” इस पर वे उनकी हँसी उड़ाने लगे।२५जब भीड़ बाहर कर दी गयी, तब येशु घर के भीतर गए। उन्होंने हाथ पकड़ कर बालिका को उठाया और वह उठ खड़ी हुई।२६इस बात की चर्चा उस इलाके के कोने-कोने में फैल गयी।२७येशु वहाँ से आगे बढ़े तो दो अन्धे यह पुकारते हुए उनके पीछे हो लिये, “दाऊद के वंशज! हम पर दया कीजिए।”२८जब येशु घर पहुँचे, तो ये अन्धे उनके पास आए। येशु ने उन से पूछा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने कहा, “जी हाँ, प्रभु!”२९तब येशु ने यह कहते हुए उनकी आँखों का स्पर्श किया, “जैसा तुमने विश्वास किया, वैसा ही तुम्हारे लिए हो जाए।”३०और उनकी आँखें खुल गयीं। येशु ने यह कहते हुए उन्हें कड़ी चेतावनी दी, “सावधान! यह बात कोई न जानने पाए।”३१परन्तु उन्होंने जाकर उस पूरे इलाके में येशु का नाम फैला दिया।३२दोनों बाहर निकल ही रहे थे कि कुछ लोग भूत से जकड़े हुए एक गूँगे मनुष्य को येशु के पास लाए।३३येशु ने भूत को निकाल दिया और वह गूँगा बोलने लगा। लोग अचम्भे में पड़ कर बोल उठे, “इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया है।”३४परन्तु फरीसियों ने कहा, “यह भूतों के नायक की सहायता से भूतों को निकालता है।”३५येशु सब नगरों और गाँवों में भ्रमण कर उनके सभागृहों में शिक्षा देते, राज्य के शुभसमाचार का प्रचार करते, और हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करते रहे।Hindi Bible CL BSI Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल Copyright © Bible Society of India, 2015. Used by permission. worldwide१फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया, और अपने नगर में आया।२और देखो, कई लोग लकवा के एक रोगी को खाट पर रखकर उसके पास लाए। यीशु ने उनका विश्वास देखकर, उस लकवे के रोगी से कहा, “हे पुत्र, ढाढ़स बाँध; तेरे पाप क्षमा हुए।”३इस पर कई शास्त्रियों ने सोचा, “यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है।”४यीशु ने उनके मन की बातें जानकर कहा, “तुम लोग अपने–अपने मन में बुरा विचार क्यों कर रहे हो?५सहज क्या है? यह कहना, ‘तेरे पाप क्षमा हुए’, या यह कहना, ‘उठ और चल फिर।’६परन्तु इसलिये कि तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है। ” तब उसने लकवे के रोगी से कहा, “उठ, अपनी खाट उठा, और अपने घर चला जा।”७वह उठकर अपने घर चला गया।८लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा करने लगे जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया है।९वहाँ से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती नामक एक मनुष्य को महसूल की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले। ” वह उठकर उसके पीछे हो लिया।१०जब वह घर में भोजन करने के लिए बैठा तो बहुत से महसूल लेनेवाले और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे।*११यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा, “तुम्हारा गुरु महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?”१२यह सुनकर यीशु ने उनसे कहा, “वैद्य भले चंगों के लिए नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक है।१३इसलिये तुम जाकर इसका अर्थ सीख लो: ‘मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूँ।’ क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।”१४तब यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा, “क्या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते?”१५यीशु ने उनसे कहा, “क्या बराती, जब तक दूल्हा उनके साथ है, शोक कर सकते हैं? पर वे दिन आएँगे जब दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे।१६कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबन्द उस वस्त्र से कुछ और खींच लेता है, और वह अधिक फट जाता है।१७और लोग नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं, क्योंकि ऐसा करने से मशकें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नष्ट हो जाती हैं; परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरतें हैं और वे दोनों बचे रहते हैं।”१८वह उनसे ये बातें कह ही रहा था, कि देखो, एक सरदार ने आकर उसे प्रणाम किया और कहा, “मेरी पुत्री अभी मरी है, परन्तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी।”१९यीशु उठकर अपने चेलों समेत उसके पीछे हो लिया।२०और देखो, एक स्त्री ने जिसको बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था, पीछे से आकर उसके वस्त्र के आँचल को छू लिया।२१क्योंकि वह अपने मन में कहती थी, “यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी तो चंगी हो जाऊँगी।”२२यीशु ने फिरकर उसे देखा और कहा, “पुत्री ढाढ़स बाँध; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है। ” अत: वह स्त्री उसी घड़ी चंगी हो गई।२३जब यीशु उस सरदार के घर में पहुँचा और बाँसली बजानेवालों और भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा,२४तब कहा, “हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है।” इस पर वे उसकी हँसी करने लगे।२५परन्तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उसने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी।२६और इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।२७जब यीशु वहाँ से आगे बढ़ा, तो दो अंधे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, “हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर!”२८जब वह घर में पहुँचा, तो वे अंधे उसके पास आए, और यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ, प्रभु!”२९तब उसने उनकी आँखें छूकर कहा, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो। ”३०और उनकी आँखें खुल गईं। यीशु ने उन्हें चिताकर कहा, “सावधान, कोई इस बात को न जाने।”३१पर उन्होंने निकलकर सारे देश में उसका यश फैला दिया।३२जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए;३३और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूँगा बोलने लगा। इस पर भीड़ ने अचम्भा करके कहा, “इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।”३४परन्तु फरीसियों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”३५यीशु सब नगरों और गाँवों में फिरता रहा और उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।Hindi Bible OV BSI Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible Copyright © 2012 by The Bible Society of India Used by permission. worldwide१फिर यीशु एक नाव पर जा चढ़ा और झील के पार अपने नगर आ गया।२लोग लकवे के एक रोगी को खाट पर लिटा कर उसके पास लाये। यीशु ने जब उनके विश्वास को देखा तो उसने लकवे के रोगी से कहा, “हिम्मत रख हे बालक, तेरे पाप को क्षमा किया गया!”३तभी कुछ यहूदी धर्मशास्त्री आपस में कहने लगे, “यह व्यक्ति (यीशु) अपने शब्दों से परमेश्वर का अपमान करता है।”४यीशु, क्योंकि जानता था कि वे क्या सोच रहे हैं, उनसे बोला, “तुम अपने मन में बुरे विचार क्यों आने देते हो?५अधिक सहज क्या है? यह कहना कि ‘तेरे पाप क्षमा हुए’ या यह कहना ‘खड़ा हो और चल पड़?’ ताकि तुम यह जान सको कि पृथ्वी पर पापों को क्षमा करने की शक्ति मनुष्य के पुत्र में हैं।” यीशु ने लकवे के मारे से कहा, “खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और घर चला जा।”६वह लकवे का रोगी खड़ा हो कर अपने घर चला गया।७जब भीड़ में लोगों ने यह देखा तो वे श्रद्धामय विस्मय से भर उठे और परमेश्वर की स्तुति करने लगे जिसने मनुष्य को ऐसी शक्ति दी।८यीशु जब वहाँ से जा रहा था तो उसने चुंगी की चौकी पर बैठे एक व्यक्ति को देखा। उसका नाम मत्ती था। यीशु ने उससे कहा, “मेरे पीछे चला आ।” इस पर मत्ती खड़ा हुआ और उसके पीछे हो लिया।९ऐसा हुआ कि जब यीशु मत्ती के घर बहुत से चुंगी वसूलने वालों और पापियों के साथ अपने अनुयायियों समेत भोजन कर रहा था१०तो उसे फरीसियों ने देखा। वे यीशु के अनुयायियों से पूछने लगे, “तुम्हारा गुरु चुंगी वसूलने वालों और दुष्टों के साथ खाना क्यों खा रहा है?”११यह सुनकर यीशु उनसे बोला, “स्वस्थ लोगों को नहीं बल्कि रोगियों को एक चिकित्सक की आवश्यकता होती है।१२इसलिये तुम लोग जाओ और समझो कि शास्त्र के इस वचन का अर्थ क्या है, ‘मैं बलिदान नहीं चाहता बल्कि दया चाहता हूँ।’ मैं धर्मियों को नहीं, बल्कि पापियों को बुलाने आया हूँ।”१३फिर बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के शिष्य यीशु के पास गये और उससे पूछा, “हम और फ़रीसी बार-बार उपवास क्यों करते हैं और तेरे अनुयायी क्यों नहीं करते?”१४फिर यीशु ने उन्हें बताया, “क्या दूल्हे के साथी, जब तक दूल्हा उनके साथ है, शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे जब दूल्हा उन से छीन लिया जायेगा। फिर उस समय वे दुःखी होंगे और उपवास करेंगे।१५“बिना सिकुड़े नये कपड़े का पैबंद पुरानी पोशाक पर कोई नहीं लगाता क्योंकि यह पैबंद पोशाक को और अधिक फाड़ देगा और कपड़े की खींच और बढ़ जायेगी।१६नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरा जाता नहीं तो मशकें फट जाती हैं और दाखरस बहकर बिखर जाता है। और मशकें भी नष्ट हो जाती हैं। इसलिये लोग नया दाखरस, नयी मशकों में भरते हैं जिससे दाखरस और मशक दोनों ही सुरक्षित रहते हैं।”१७यीशु उन लोगों को जब ये बातें बता ही रहा था, तभी यहूदी आराधनालय का एक मुखिया उसके पास आया और उसके सामने झुक कर विनती करते हुए बोला, “अभी-अभी मेरी बेटी मर गयी है। तू चल कर यदि उस पर अपना हाथ रख दे तो वह फिर से जी उठेगी।”१८इस पर यीशु खड़ा हो कर अपने शिष्यों समेत उसके साथ चल दिया।१९वहीं एक ऐसी स्त्री थी जिसे बारह साल से बहुत अधिक रक्त बह रहा था। वह पीछे से यीशु के निकट आयी और उसके वस्त्र की कन्नी छू ली।२०वह मन में सोच रही थी, “यदि मैं तनिक भी इसका वस्त्र छू पाऊँ, तो ठीक हो जाऊँगी।”२१मुड़कर उसे देखते हुए यीशु ने कहा, “बेटी, हिम्मत रख। तेरे विश्वास ने तुझे अच्छा कर दिया है।” और वह स्त्री तुरंत उसी क्षण ठीक हो गयी।२२उधर यीशु जब यहूदी धर्म-सभा के मुखिया के घर पहुँचा तो उसने देखा कि शोक धुन बजाते हुए बाँसुरी वादक और वहाँ इकट्ठे हुए लोग लड़की की मृत्यु पर शोक कर रहे हैं।२३तब यीशु ने लोगों से कहा, “यहाँ से बाहर जाओ। लड़की मरी नहीं है, वह तो सो रही है।” इस पर लोग उसकी हँसी उड़ाने लगे।२४फिर जब भीड़ के लोगों को बाहर भेज दिया गया तो यीशु ने लड़की के कमरे में जा कर उसका हाथ पकड़ा और वह उठ बैठी।२५इसका समाचार उस सारे क्षेत्र में फैल गया।२६यीशु जब वहाँ से जाने लगा तो दो अन्धे व्यक्ति उसके पीछे हो लिये। वे पुकार रहे थे, “हे दाऊद के पुत्र, हम पर दया कर।”२७यीशु जब घर के भीतर पहुँचा तो वे अन्धे उसके पास आये। तब यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं, तुम्हें फिर से आँखें दे सकता हूँ?” उन्होंने उत्तर दिया, “हाँ प्रभु!”२८इस पर यीशु ने उन की आँखों को छूते हुए कहा, “तुम्हारे लिए वैसा ही हो जैसा तुम्हारा विश्वास है।”२९और अंधों को दृष्टि मिल गयी। फिर यीशु ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा, “इसके विषय में किसी को पता नहीं चलना चाहिये।”३०किन्तु उन्होंने वहाँ से जाकर इस समाचार को उस क्षेत्र में चारों ओर फैला दिया।३१जब वे दोनों वहाँ से जा रहे थे तो कुछ लोग यीशु के पास एक गूँगे को लेकर आये। गूँगे में दुष्ट आत्मा समाई हुई थी और इसीलिए वह कुछ बोल नहीं पाता था।३२जब दुष्ट आत्मा को निकाल दिया गया तो वह गूँगा, जो पहले कुछ भी नहीं बोल सकता था, बोलने लगा। तब भीड़ के लोगों ने अचरज से भर कर कहा, “इस्राएल में ऐसी बात पहले कभी नहीं देखी गयी।”३३किन्तु फ़रीसी कह रहे थे, “वह दुष्टात्माओं को शैतान की सहायता से बाहर निकालता है।”३४यीशु यहूदी आराधनालयों में उपदेश देता, परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करता, लोगों के रोगों और हर प्रकार के संतापों को दूर करता उस सारे क्षेत्र में गाँव-गाँव और नगर-नगर घूमता रहा था।३५यीशु जब किसी भीड़ को देखता तो उसके प्रति करुणा से भर जाता था क्योंकि वे लोग वैसे ही सताये हुए और असहाय थे, जैसे वे भेड़ें होती हैं जिनका कोई चरवाहा नहीं होता।Hindi Bible ERV Easy-to-Read Version Copyright © 2010 World Bible Translation Center१फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया; और अपने नगर में आया।२और देखो, कई लोग एक झोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए; यीशु ने उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्रा, ढाढ़स बान्ध; तेरे पाप क्षमा हुए।३और देखो, कई शास्त्रियों ने सोचा, कि यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है।४यीशु ने उन के मन की बातें मालूम करके कहा, कि तुम लोग अपने अपने मन में बुरा विचार क्यों कर रहे हो?५सहज क्या है, यह कहना, कि तेरे पाप क्षमा हुए; या यह कहना कि उठ और चल फिर।६परन्तु इसलिये कि तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्रा को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है (उस ने झोले के मारे हुए से कहा ) उठ: अपनी खाट उठा, और अपने घर चला जा।७वह उठकर अपने घर चला गया।८लोग यह देखकर डर गए और परमेश्वर की महिमा करने लगे जिस ने मनुष्यों को ऐसा अधिकार दिया है।।९वहां से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती नाम एक मनुष्य को महसूल की चौकी पर बैठे देखा, और उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। वह उठकर उसके पीछे हो लिया।।१०और जब वह घर में भोजन करने के लिये बैठा तो बहुतेरे महसूल लेनेवालों और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे।११यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा; तुम्हारा गुरू महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?१२उस ने यह सुनकर उन से कहा, वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों को अवश्य है।१३सो तुम जाकर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं।।१४तब यूहन्ना के चेलों ने उसके पास आकर कहा; क्या कारण है कि हम और फरीसी इतना उपवास करते हैं, पर तेरे चेले उपवास नहीं करते?१५यीशु ने उन से कहा; क्या बराती, जब तक दुल्हा उन के साथ है शोक कर सकते हैं? पर वे दिन आएंगे कि दूल्हा उन से अलग किया जाएगा, उस समय वे उपवास करेंगे।१६कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने पहिरावन पर कोई नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबन्द पहिरावन से और कुछ खींच लेता है, और वह अधिक फट जाता है।१७और नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं; क्योंकि ऐसा करने से मश्कें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नाश हो जाती हैं, परन्तु नया दाखरस नई मश्कों में भरते हैं और वह दोनों बची रहती हैं।१८वह उन से ये बातें कह ही रहा था, कि देखो, एक सरदार ने आकर उसे प्रणाम किया और कहा मेरी पुत्री अभी मरी है; परन्तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी।१९यीशु उठकर अपने चेलों समेत उसके पीछे हो लिया।२०और देखो, एक स्त्री ने जिस के बारह वर्ष से लोहू बहता था, उसके पीछे से आकर उसके वस्त्रा के आंचल को छू लिया।२१क्योंकि वह अपने मन में कहती थी कि यदि मैं उसके वस्त्रा ही को छू लूंबी तो चंगी हो जाऊंगी।२२यीशु ने फिरकर उसे देखा, और कहा; पुत्री ढाढ़स बान्ध; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है; सो वह स्त्री उसी घड़ी चंगी हो गई।२३जब यीशु उस सरदार के घर में पहुंचा और बांसली बजानेवालों और भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा तब कहा।२४हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है; इस पर वे उस की हंसी करने लगे।२५परन्तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उस ने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी।२६और इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।२७जब यीशु वहां से आगे बढ़ा, तो दो अन्धे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, कि हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।२८जब वह घर में पहुंचा, तो वे अन्धे उस के पास आए; और यीशु ने उन से कहा; क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूं? उन्हों ने उस से कहा; हां प्रभु।२९तब उस ने उन की आंखे छूकर कहा, तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।३०और उन की आंखे खुल गई और यीशु ने उन्हें चिताकर कहा; सावधान, कोई इस बात को न जाने।३१पर उन्हों ने निकलकर सारे देश में उसका यश फैला दिया।।३२जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी उस के पास लाए।३३और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूंगा बोलने लगा; और भीड़ ने अचम्भा करके कहा कि इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।३४परन्तु फरीसियों ने कहा, यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्मओं को निकालता है।।३५और यीशु सब नगरों और गांवों में फिरता रहा और उन की सभाओं में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।Hindi Bible (HHBD) Public Domain: Hindi (HHBD) No Info on year१fir vah nav par chaddhkar par gaya aur apane nagar men aya.२aur dekho, kai log aek jhole ke mare huae ko khatt par rakhkar usake pas laae yeeshu ne un ka vishvas dekhkar, us jhole ke mare huae se kaha he putra, ddhaddhs bandha tere pap kshama hue.३aur dekho, kai shaastriayon ne socha, ki yah to parameshvar kee ninda karata haai.४yeeshu ne un ke man kee baten maloom karake kaha, ki tum log apane apane man men bura vichar kyon kar rahe ho?५sahaj kya haai, yah kahana, ki tere pap kshama hue ya yah kahana ki utt aur chal fira.६parantu isaaliye ki tum jan lo ki manushy ke putra ko prathvee par pap kshama karane ka adhaikar haai us ne jhole ke mare huae se kaha utt: apanee khatt utta, aur apane ghar chala ja.७vah uttkar apane ghar chala gaya.८log yah dekhkar dr gaae aur parameshvar kee maahima karane lage jis ne manushyon ko aeesa adhaikar diya haai..९vahan se age baddhkar yeeshu ne mattee nam aek manushy ko mahasool kee chaukee par baaitte dekha, aur us se kaha, mere peechhe ho le. vah uttkar usake peechhe ho liya..१०aur jab vah ghar men bhojan karane ke liye baaitta to bahutere mahasool lenevalon aur papee akar yeeshu aur usake chelon ke sath khane baaitte.११yah dekhkar fareesiyon ne usake chelon se kaha tumhara guroo mahasool lenevalon aur papiyon ke sath kyon khata haai?१२us ne yah sunakar un se kaha, vaaidh bhle changon ko naheen parantu beemaron ko avashy haai.१३so tum jakar is ka arth seekh lo, ki maain baalidan naheen parantu daya chahata hoon kyonki maain dhaarmiyon ko naheen parantu paapiyon ko bulane aya hoon..१४tab yoohanna ke chelon ne usake pas akar kaha kya karan haai ki ham aur fareesee itana upavas karate haai, par tere chele upavas naheen karate?१५yeeshu ne un se kaha kya baratee, jab tak dulha un ke sath haai shaek kar sakate haain? par ve din aaenge ki doolha un se alag kiya jaaega, us samay ve upavas karenge.१६kore kapade ka paaiband purane pahiravan par koi naheen lagata, kyonki vah paaiband paahiravan se aur kuchh kheench leta haai, aur vah aadhaik fatt jata haai.१७aur naya dakhras puranee mashakon men naheen bhrate haain kyonaki aeesa karane se mashken fatt jatee haai, aur dakhras bah jata haai aur mashaken nash ho jatee haai, parantu naya dakhras nai mashkon men bhrate haain aur vah donon bachee rahatee haain.१८vah un se ye baten kah hee raha tha, ki dekho, aek saradar ne akar use pranam kiya aur kaha meree putraee abhee maree haai parantu chalakar apana hath us par rak, to vah jeeavit ho jaaegee.१९yeeshu uttkar apane chelon samet usake peechhe ho liya.२०aur dekho, aek sree ne jis ke barah varsha se lohoo bahata tha, usake peechhe se akar usake vasr ke anchal ko choo liya.२१kyonaki vah apane man men kahatee thee ki yadi maain usake vasr hee ko choo loonbee to changee ho jaungee.२२yeeshu ne firakar use dekha, aur kaha putraee ddhaddhs bandha tere vishvas ne tujhe changa kiya haai so vah sree usee ghadee changee ho gai.२३jab yeeshu us saradar ke ghar men pahuncha aur bansalee bajanevalon aur bheed ko hullad machate dekha tab kaha.२४hatt jao, ladkee maree nahee, par sotee haai is par ve us kee hansee karane lage.२५parantu jab bheed nikal dee gai, to us ne bheetar jakar ladkee ka hath pakada, aur vah jee uttee.२६aur is bat kee charcha us sare desh men faail gai.२७jab yeeshu vahan se age baddha, to do andho usake peechhe yah pukarate huae chale, ki he daud kee santan, ham par daya kara.२८jab vah ghar men pahuncha, to ve andho us ke pas aae aur yeeshu ne un se kaha kya tumhen vishvas haai, ki maain yah kar sakata hoon? 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