शुरू मे वचन रहथि। वचन परमेश्वरक संग छलाह, और अपने परमेश्वर छलाह।
यीशु बजलाह, “रस्ता हमहीं छी, हँ, और सत्य और जीवन सेहो छी। हमरा बिनु केओ पिता लग नहि अबैत अछि।
अहाँक राज्य आबय, अहाँक इच्छा जहिना स्वर्ग मे पूरा होइत अछि, तहिना पृथ्वी पर सेहो पूरा होअय।
एहि लेल अहाँ सभ आब जा कऽ सभ जातिक लोक केँ हमर शिष्य बनाउ और ओकरा सभ केँ पिता, पुत्र आ पवित्र आत्माक नाम सँ बपतिस्मा दिऔक।
कोनो दोसर व्यक्ति द्वारा उद्धार नहि अछि, कारण स्वर्गक नीचाँ मनुष्य केँ कोनो दोसर नाम नहि देल गेल अछि जाहि द्वारा अपना सभक उद्धार भऽ सकय।”
हम यूहन्ना, जे अहाँ सभक भाय छी, अहाँ सभक संग ओहि कष्ट, राज्य आ सहनशीलता मे सहभागी छी जे यीशुक लोक होयबाक कारणेँ अपना सभ केँ होइत अछि। हम परमेश्वरक वचनक प्रचार करबाक कारणेँ आ यीशुक सम्बन्ध मे गवाही देबाक कारणेँ पतमुस द्वीप मे बन्दी छलहुँ।
अहाँ सभ केँ जे आत्मा देल गेल छथि, से अहाँ सभ केँ फेर डेराय वला गुलाम नहि बनबैत छथि, बल्कि परमेश्वरक पुत्र बनौने छथि। ओहि आत्माक द्वारा अपना सभ हुनका पुकारि उठैत छियनि जे, “हे बाबूजी! हे पिता!”
[10] जाहि सँ यीशुक नाम सुनैत प्रत्येक प्राणी ठेहुनिया देअय, चाहे ओ स्वर्ग मे वा पृथ्वी पर वा पृथ्वीक नीचाँ रहऽ वला होअय, [11] और पिता परमेश्वरक गुणगान मे प्रत्येक प्राणी अपना मुँह सँ स्वीकार करय जे यीशु मसीह प्रभु छथि।