बाइबिल छंद विषय परविषय परमेश्वर आशीर्वाद आप जिस स्थिति में हैं वैसे ही आ जाएं आज्ञाओं अभिशाप वित्तीय आशीर्वाद मुक्त इच्छा भगवान की कृपा ईश्वर का प्यार भगवान की मर्जी भगवान (समय) में तुम्हे कभी नहीं छोड़ूंगा चमत्कार भगवान के नाम भगवान को अर्पण योजनाओं पाप से बचाया जा रहा है ट्रिनिटी समय बिना शर्त प्रेम विषाणु / रोग कौन ईश्वर है अच्छा चरित्र स्वीकार परहेज़ जवाबदेही साहस देखभाल स्वच्छता प्रतिबद्धता आत्मविश्वास संतोष साहस / बहादुर दया अनुशासन आस्था आभारी सत्कार विनम्र / विनम्रता ईमानदार आदर अखंडता दयालुता प्रेम शील दया धीरज पवित्रीकरण आत्म - संयम विश्वास बुरा चरित्र गुस्सा विश्वासघात धमकाना अप्रसन्नता उपालंभ देना संघर्ष डर मूढ़ पाखंडी ईर्ष्या द्वेष अनुमान आलसी गौरव बदला / प्रतिशोध घमंड हिंसा पाप गर्भपात लत व्यभिचार स्वधर्मत्याग अपशब्द तलाक डाह व्यभिचार लोलुपता गपशप लालच नफरत हवस झूठ बोलना हस्तमैथुन टालमटोल चोरी होना जिंदगी बुढ़ापा जानवरों बच्चे को गोद लेना जन्मदिन सुंदरता अकेला होना डेटिंग लोग मौत डिप्रेशन निराशा प्रभेद व्यायाम करना आचार विचार उपवास प्यार ढूंढना ध्यान केंद्रित परिवार खाना अपराध स्वास्थ्य ख़ुशी नरक बांझपन नौकरी खोना नुकसान मानसिक बीमारी संगीत शादी ईश्वर को पहले रखना दर्द पेरेंटिंग संघर्ष लिंग परीक्षण प्रलोभन पुरुषों के लिए छंद महिलाओं के लिए छंद युद्ध धन विधवाओं चर्च चर्च में भाग ले रहे हैं यीशु का जन्म चर्च उत्पीड़न उपयाजकों झूठे शिक्षक स्वर्ग जा रहे हैं पवित्र आत्मा बाइबल में मसीहा पादरियों ईश्वर की स्तुति करना यीशु से दृष्टांत पेंटेकोस्ट भाषाओं में बोलना Tithing पूजा महिलाएं रोल्स रहस्य एलियंस कैंसर भाग्य डायनासोर ड्रेगन सपने सपाट या गोल पृथ्वी बाइबिल में दिग्गज पिछले दिनों का भविष्य यूनिकॉर्न्स स्वर्गदूत और राक्षस आर्च देवदूत एन्जिल्स शैतान शैतान संरक्षक एन्जिल्स लूसिफ़ेर जादूगर / जादू मठ के संकेत नंबर 3 नंबर 5 नंबर 7 नंबर 8 नंबर 10 अतिरिक्त शराब प्रचुरता नफरत टूटा हुआ दिल नरभक्षण का मौत की सजा ड्रग्स बुराई भावनाएँ हैलोवीन गरीब की मदद करना गर्भपात पुलिस पियर्सिंग / झुमके बहुविवाह Revivial उदासी विज्ञान आत्म रक्षा गुलामी आत्महत्या प्रतिभा टैटू काम परमेश्वर: [विषाणु / रोग] 26:20 25:32-33 7:13-14प्रकाशित-वाक्य 6:3-8[3] जखन बलि-भेँड़ा दोसर छाप केँ खोललनि तँ दोसर जीवित प्राणी केँ हम ई कहैत सुनलहुँ जे “आउ!” [4] आब लाल रंगक एकटा घोड़ा बहरायल। ओकर सवार केँ ई अधिकार देल गेलैक जे ओ पृथ्वी पर सँ शान्ति उठा लय, जाहि सँ लोक एक-दोसर केँ खून करऽ लागय। ओकरा एकटा बड़का तरुआरि देल गेलैक। [5] जखन बलि-भेँड़ा तेसर छाप खोललनि, तँ हम तेसर जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” आब हमरा एकटा कारी घोड़ा देखाइ देलक। ओहि पर जे सवार छल, तकरा हाथ मे तराजू छलैक। [6] तखन हमरा एकटा आवाज सुनाइ देलक जे ओहि चारू जीवित प्राणीक बीच सँ अबैत बुझायल, जे ई कहि रहल छल, “दिन भरिक मजदूरी एक सेर गहुम! दिन भरिक मजदूरी तीन सेर जौ! मुदा जैतूनक तेल आ अंगूरक मदिरा केँ नोकसान नहि करिहह।” [7] जखन ओ चारिम छाप खोललनि तँ हम चारिम जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” [8] और हमरा आँखिक सामने एकटा पिअर सन हलका रंगक घोड़ा देखाइ देलक। ओकर सवारक नाम मृत्यु छलैक आ ओकरा पाछाँ-पाछाँ पाताल छलैक। ओकरा सभ केँ पृथ्वीक जनसंख्याक एक चौथाइ भाग पर अधिकार देल गेलैक जे, तरुआरि, अकाल, महामारी आ पृथ्वीक जंगली जानबर सभ द्वारा मारय। 5:62 कोरिन्थी 4:7मुदा ई अमूल्य धन माटिक बर्तन सभ मे, अर्थात् हमरा सभ मे, राखल अछि जाहि सँ स्पष्ट होअय जे ई सर्वश्रेष्ठ सामर्थ्य हमरा सभक अपन नहि, बल्कि परमेश्वरक छनि। 20:3याकूब 4:10प्रभुक समक्ष विनम्र बनू और ओ अहाँ सभ केँ सम्मानित करताह।मत्ती 6:24“कोनो खबास दूटा मालिकक सेवा एक संग नहि कऽ सकैत अछि। कारण, ओ एकटा सँ घृणा करत आ दोसर सँ प्रेम, अथवा पहिल केँ खूब मानत और दोसर केँ तुच्छ बुझत। अहाँ सभ परमेश्वर आ धन-सम्पत्ति दूनूक सेवा नहि कऽ सकैत छी।फिलिप्पी 4:6कोनो बातक चिन्ता-फिकिर नहि करू, बल्कि प्रत्येक परिस्थिति मे परमेश्वर सँ प्रार्थना आ निवेदन करू; अपन विनती धन्यवादक संग हुनका सम्मुख प्रस्तुत करू। 103:2-3 11:31-33 9:8-11याकूब 1:2-6[2] यौ हमर भाइ लोकनि, अहाँ सभ पर जखन अनेक प्रकारक आपत्ति-विपत्ति आबय तँ ओकरा महा आनन्दक बात बुझू। [3] कारण, अहाँ सभ जनैत छी जे अहाँ सभक विश्वासक जाँच भेला सँ धैर्य उत्पन्न होइत अछि। [4] मुदा धैर्य केँ ओकर अपन काज पूरा करऽ दिऔक, जाहि सँ अहाँ सभ आत्मिक रूप सँ बच्चा नहि रहि कऽ सभ तरहेँ पूर्ण भऽ जाइ आ अहाँ सभ मे कोनो बातक कमी नहि रहय। [5] जँ अहाँ सभ मे सँ किनको बुद्धिक अभाव होअय तँ परमेश्वर सँ माँगू। परमेश्वर अहाँ केँ बुद्धि देताह। कारण, ओ बिनु डँटने खुशी सँ सभ केँ दैत छथि। [6] मुदा जखन मँगैत छी, तँ विश्वासपूर्बक माँगू। शंका नहि राखू, कारण, शंका रखनिहार व्यक्ति समुद्रक हिलकोर जकाँ अछि जकरा हवा उठबैत आ खसबैत रहैत छैक। प्रकाशित-वाक्य 9:15-19[15] ओहि चारू दूतक बन्हन खोलि देल गेलैक। ओ सभ मनुष्य जातिक एक तिहाइ भाग केँ मारि देबाक लेल एही वर्ष, मास, दिन आ घड़ीक लेल तैयार कऽ कऽ राखल गेल छल। [16] हम ओकरा सभक घोड़सवार सैनिक सभक संख्या सुनलहुँ—ओ बीस करोड़ छल। [17] ओहि दर्शन मे ओ घोड़ा सभ आ ओहि परक सवार सैनिक सभ हमरा एहि तरहेँ देखाइ देलक—ओ सभ आगि सन लाल रंगक, नील रंगक आ गन्धक सन पिअर रंगक कवच पहिरने छल। घोड़ा सभक मूड़ी शेरक मूड़ी जकाँ छलैक आ ओकरा सभक मुँह सँ आगि, धुआँ आ गन्धक बहरा रहल छल। [18] एहि तीन विपत्ति द्वारा, अर्थात् ओहि आगि, धुआँ आ गन्धक द्वारा, जे घोड़ा सभक मुँह सँ बहरा रहल छल, मनुष्य जातिक एक तिहाइ भाग केँ मारि देल गेलैक। [19] ओहि घोड़ा सभक सामर्थ्य ओकरा सभक मुँह आ नांगड़ि दूनू मे छलैक, किएक तँ ओकरा सभक नांगड़ि साँप जकाँ छलैक, जाहि मे मूड़ी लागल छल। एही सभक द्वारा ओ सभ मनुष्य केँ हानि पहुँचा रहल छल। मरकुस 13:32-37[32] “मुदा एहि घटना सभक दिन वा समय केओ नहि जनैत अछि, स्वर्गदूतो सभ नहि आ पुत्रो नहि—मात्र पिता जनैत छथि। [33] होसियार रहू! बाट तकैत रहू आ प्रार्थना करैत रहू! अहाँ सभ तँ नहि जनैत छी जे ओ समय कहिया होयत। [34] ई बात एहन अछि जेना एक आदमी यात्रा पर परदेश जाय लगलाह। जाय सँ पहिने ओ अपन घरक लेल नोकर सभ केँ अपन-अपन जबाबदेही देलनि, और चौकीदार केँ पहरा देबाक लेल आज्ञा देलनि। [35] तहिना अहाँ सभ बाट तकैत रहू, किएक तँ अहाँ नहि जनैत छी जे घरक मालिक कखन फिरि औताह—साँझ, आधा राति, भोरहरिया, वा भिनसर मे। [36] एना नहि होअय जे ओ अचानक आबि कऽ अहाँ सभ केँ सुतल पौताह। [37] अहाँ सभ केँ हम जे कहैत छी से सभ केँ कहैत छी—होसियार रहू!” 91:2-14लूका 21:5-38[5] किछु शिष्य सभ मन्दिरक बारे मे बाजि रहल छलाह जे कतेक नीक सँ सुन्दर-सुन्दर पाथर और परमेश्वर केँ अर्पित कयल वस्तु सभ सँ बनाओल अछि। एहि पर यीशु कहलथिन, [6] “ई सभ वस्तु जे एतऽ देखैत छी—तेहन समय आओत जहिया एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत। सभ ढाहल जायत।” [7] ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “गुरुजी, ई घटना कहिया होयत? और कोन चिन्ह होयतैक जाहि सँ बुझि सकी जे ई बात सभ आब होयत?” [8] ओ उत्तर देलथिन, “होसियार रहू जाहि सँ बहकाओल नहि जायब। कारण, बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत आ कहत जे, ‘हम वैह छी,’ आ ‘समय लगचिआ गेल अछि।’ ओकरा सभक पाछाँ नहि जाउ! [9] जखन अनेक लड़ाइ और अन्दोलनक खबरि सुनब, तँ भयभीत नहि होउ। ई सभ तँ पहिने होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तुरत नहि होयत।” [10] आगाँ ओ कहलथिन, “एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। [11] बड़का-बड़का भूकम्प होयत, विभिन्न ठाम अकाल पड़त और अनेक स्थान मे महामारी होयत। आकाश मे भयंकर घटना सभ होयत और आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखाइ देत। [12] “मुदा एहि सभ बात सँ पहिने हमरा कारणेँ लोक सभ अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ अहाँ सभ पर अत्याचार करत। अहाँ सभ केँ सभाघर सभ मे सौंपि देत, जहल मे बन्द कऽ देत, और राजा आ राज्यपाल सभक समक्ष लऽ जायत। [13] ई बात सभ अहाँ सभक लेल गवाही देबाक अवसर होयत। [14] मुदा अहाँ सभ अपना मोन मे ई निश्चय कऽ लिअ जे हमरा पर लगाओल अभियोगक उत्तर मे हम की बाजू तकर चिन्ता पहिने सँ हम नहि करब। [15] कारण, अहाँ सभ केँ बजबाक लेल हम तेहन शब्द और बुद्धि देब जे कोनो विरोधी ने तकरा सामने मे टिकि सकत आ ने तकरा काटि सकत। [16] माय-बाबू, भाय, कुटुम्ब-परिवार और साथी-संगी सभ अहाँ सभक संग विश्वासघात कऽ कऽ पकड़बाओत, और अहाँ सभ मे सँ कतेको केँ मारिओ देत। [17] अहाँ सभ सँ सभ केओ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। [18] मुदा अहाँ सभक माथक एकटा केशो नहि टुटत। [19] विश्वास मे दृढ़ रहला सँ अहाँ सभ जीवन प्राप्त करब। [20] “जखन यरूशलेम केँ सेना सभ सँ घेराइत देखब, तँ ई बुझि लिअ जे ओकर विनाश लग आबि गेल। [21] ओहि समय मे जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय, से सभ पहाड़ पर भागि जाय। जे यरूशलेम मे होअय, से बाहर निकलि जाय, और जे लग-पासक देहात मे होअय, से शहर मे नहि जाय। [22] कारण ओ महादण्डक समय होयत जाहि समय मे धर्मशास्त्र मे लिखल सभ बात पूरा होयत। [23] ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! किएक तँ एहि देश मे भयंकर संकट औतैक, और एहि लोक सभ पर परमेश्वरक प्रकोप पड़तैक। [24] ओ सभ तरुआरि सँ मारल जायत, और बन्दी बनि कऽ विश्वक प्रत्येक राष्ट्र मे लऽ गेल जायत। यरूशलेम गैर-यहूदी सभ द्वारा तहिया धरि लतखुर्दन भऽ पिचाइत रहत जहिया धरि गैर-यहूदी सभ केँ देल गेल समय पूरा बिति नहि जायत। [25] “सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ मे आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखाइ देत। पृथ्वी पर सभ जातिक लोक समुद्रक लहरि देखि आ ओकर गर्जन सुनि घबड़ा जायत और व्याकुल भऽ उठत। [26] पृथ्वी पर जे बात सभ घटऽ वला अछि, तकर डर-भय सँ लोक सभ बेहोस भऽ जायत। कारण, आकाशक शक्ति सभ हिलाओल जायत। [27] तकरबाद लोक मनुष्य-पुत्र केँ सामर्थ्य और अपार महिमाक संग मेघ मे अबैत देखत। [28] ई सभ बात जखन होमऽ लागत तँ अहाँ सभ ठाढ़ भऽ जाउ और मूड़ी उठाउ, किएक तँ अहाँ सभक छुटकारा लगचिआ गेल रहत।” [29] तखन ओ हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त देलथिन, “अंजीरक गाछ वा कोनो गाछ केँ लिअ। [30] जखने नव पात निकलऽ लगैत छैक तँ अपने सँ जानि लैत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। [31] तहिना, जखन अहाँ सभ ई बात सभ होइत देखब तँ बुझू जे परमेश्वरक राज्य लग आबि गेल अछि। [32] “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। [33] आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। [34] “सावधान रहू! नहि तँ अहाँ सभक मोन भोग-विलास, नशा और जीवनक चिन्ता मे ओझरायल रहत, और ओ दिन अहाँ सभ पर अचानक आबि कऽ फन्दा जकाँ पकड़ि लेत। [35] कारण ओ दिन सम्पूर्ण पृथ्वी पर रहऽ वला सभ लोक पर अचानक आबि जायत। [36] एहि लेल सदिखन सचेत रहू, और प्रार्थना करू जे, जे घटना सभ होमऽ वला अछि ताहि मे बाँचि सकी और मनुष्य-पुत्रक सम्मुख ठाढ़ रहि सकी।” [37] यीशु दिन कऽ मन्दिर मे उपदेश दैत छलाह, और जैतून पहाड़ नामक परवत पर जा कऽ राति बितबैत छलाह। [38] लोक सभ हुनकर उपदेश सुनबाक लेल सभ दिन भोरे-भोर मन्दिर अबैत छल। मत्ती 24:1-35[1] यीशु जखन मन्दिर सँ निकलि कऽ चल जा रहल छलाह तँ हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ मन्दिरक मकान सभ देखाबऽ लगलथिन। [2] यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “ई सभ चीज देखैत छी? हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत। सभ ढाहल जायत।” [3] जैतून पहाड़ पर यीशु जखन बैसल छलाह तँ शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ एकान्त मे हुनका सँ पुछलथिन, “हमरा सभ केँ कहू जे ई घटना कहिया होयत? अहाँ आब फेर आबऽ पर छी आ संसारक अन्त होमऽ पर अछि, ताहि समय केँ हम सभ कोन बात सँ चिन्हब?” [4] यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “होसियार रहू जे अहाँ सभ केँ केओ बहकाबऽ नहि पाबय। [5] बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत आ कहत जे, ‘हमहीं उद्धारकर्ता-मसीह छी,’ आ बहुतो लोक केँ बहका देत। [6] अहाँ सभ लड़ाइक समाचार आ लड़ाइक हल्ला सभ सुनब। मुदा देखू, ताहि सँ घबड़ायब नहि। ई सभ होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तहियो नहि होयत। [7] एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। बहुतो ठाम मे अकाल पड़त आ भूकम्प होयत। [8] ई सभ बात तँ कष्टक शुरुआते होयत। [9] “ओहि समय मे लोक सभ अहाँ सभ पर अत्याचार करयबाक लेल अहाँ सभ केँ अधिकारी सभक जिम्मा मे लगा देत आ मरबा देत। अहाँ सभ सँ सभ देशक लोक सभ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। [10] ओहि समय मे बहुतो लोक अपन विश्वास छोड़ि देत। ओ सभ एक-दोसर केँ पकड़बाओत आ एक-दोसर सँ घृणा करत। [11] एहन बहुतो लोक सभ प्रगट भऽ जायत जे झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहत आ बहुतो लोक केँ बहका देत। [12] अधर्मक वृद्धि भेला सँ अनेक लोकक आपसी प्रेम मन्द पड़ि जायत। [13] मुदा जे केओ अन्त धरि स्थिर रहत से उद्धार पाओत। [14] परमेश्वरक राज्यक ई शुभ समाचारक प्रचार सम्पूर्ण संसार मे कयल जायत जाहि सँ एकरा सम्बन्ध मे सभ जातिक लोक गवाही सुनय; तखन अन्तक समय आबि जायत। [15] “तेँ जखन अहाँ सभ ‘विनाश करऽ वला घृणित वस्तु’ केँ पवित्र स्थान मे ठाढ़ देखब, जकरा विषय मे परमेश्वरक प्रवक्ता दानिएल कहने छथि—पढ़ऽ वला ई बात ध्यान दऽ कऽ बुझू!— [16] तखन जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय से सभ पहाड़ पर भागि जाय। [17] जे घरक छत पर होअय से उतरि कऽ घर मे सँ कोनो वस्तु लेबऽ नहि लागओ। [18] आ जे खेत मे होअय से घर मे सँ अपन ओढ़ना लेबाक लेल घूमि कऽ नहि आबओ। [19] ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! [20] प्रार्थना करू जे जाड़क समय वा विश्राम-दिन कऽ अहाँ सभ केँ भागऽ-पड़ाय नहि पड़य। [21] ओहि समय मे एहन कष्ट होयत जे सृष्टिक आरम्भ सँ आइ तक कहियो नहि भेल अछि आ ने फेर कहियो होयत। [22] जँ ओहि समय केँ घटा नहि देल जाइत तँ कोनो मनुष्य नहि बचैत, मुदा परमेश्वर अपन चुनल लोक सभक कारणेँ ओहि समय केँ घटा देताह। [23] “ओहि समय मे जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘देखू, मसीह एतऽ छथि!’ वा ‘ओतऽ छथि!’ तँ ओहि बात पर विश्वास नहि करू। [24] कारण, ओहि समय मे झुट्ठा मसीह आ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहऽ वला सभ प्रगट होयत, और एहन अजगूत बात आ चमत्कार सभ देखाओत जे, जँ सम्भव रहैत, तँ परमेश्वरक चुनल लोक सभ केँ सेहो बहका दैत। [25] देखू, हम अहाँ सभ केँ पहिनहि कहि देलहुँ। [26] “तेँ जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘चलू, देखू, ओ निर्जन स्थान मे छथि,’ तँ ओकरा संग बाहर नहि जाउ। अथवा जँ कहत जे, ‘देखू, ओ एतऽ कोठरी मे छथि,’ तँ विश्वास नहि करू। [27] किएक तँ जहिना बिजलोकाक चमक पूब सँ निकलि कऽ पश्चिम तक देखाइ दैत अछि, तहिना जखन मनुष्य-पुत्र फेर औताह तँ एहने होयत। [28] जतऽ कतौ लास रहैत अछि ततऽ गिद्ध सभ जुटैत अछि। [29] “ओहि समयक कष्टक ठीक बाद, ‘सूर्य अन्हार भऽ जायत, चन्द्रमा इजोत नहि देत, आकाश सँ तारा सभ खसत, और आकाशक शक्ति सभ हिलि जायत।’ [30] तकरबाद मनुष्य-पुत्रक अयबाक चिन्ह आकाश मे देखाइ देत। पृथ्वी परक सभ जातिक लोक सभ कन्ना-रोहटि करत और मनुष्य-पुत्र केँ सामर्थ्य आ अपार महिमाक संग आकाशक मेघ मे अबैत देखत। [31] धुतहूक पैघ आवाजक संग ओ अपन स्वर्गदूत सभ केँ चारू दिस पठौताह आ ओ सभ आकाश आ पृथ्वीक अन्तिम सीमा तक जा कऽ हुनकर चुनल लोक सभ केँ जमा करताह। [32] “आब अंजीरक गाछ सँ एकटा बात सिखू। जखन ओकर ठाढ़ि कोमल होमऽ लगैत छैक आ ओहि मे नव पात निकलऽ लगैत छैक तँ अहाँ सभ बुझि जाइत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। [33] तहिना जखन अहाँ सभ ई सभ बात होइत देखब तँ बुझि लिअ जे समय लगचिआ गेल, हँ, ई बुझू जे ओ घरक मुँह पर आबि गेल अछि। [34] हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। [35] आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। Maithili Bible 2010 ©2010 The Bible Society of India and WBT