[4] प्रेम सहनशील आ दयालु होइत अछि। प्रेम डाह नहि करैत अछि, प्रेम अपन बड़ाइ नहि करैत अछि आ ने घमण्ड करैत अछि। [5] प्रेम अभद्र व्यवहार नहि करैत अछि, ओ स्वार्थी नहि अछि, जल्दी सँ खौंझाइत नहि अछि आ ने अपराधक हिसाब रखैत अछि। [6] प्रेम अधर्म सँ प्रसन्न नहि होइत अछि, बल्कि सत्य सँ आनन्दित होइत अछि। [7] प्रेम सभ बात सहन करैत अछि, सभ स्थिति मे विश्वास रखैत अछि, सभ स्थिति मे आशा रखैत अछि आ सभ स्थिति मे लगनशील रहैत अछि।
अहाँ सभक मुँह सँ कोनो हानि पहुँचाबऽ वला बात नहि निकलय, बल्कि एहन बात जे दोसराक उन्नतिक लेल होअय और अवसरक अनुरूप होअय, जाहि सँ ओहि सँ सुननिहारक हित होयतैक।
तेँ अहाँ सभ परमेश्वरक चुनल लोक, हुनकर पवित्र और प्रिय लोक सभ भऽ कऽ, दयालुता, करुणा, नम्रता, कोमलता आ सहनशीलता केँ धारण करू।
ओ ई एहि लेल कयलनि जे आबऽ वला युग सभ मे ओ अपन ओहि अतुलनीय कृपाक महान्ता केँ प्रदर्शित कऽ सकथि, जकरा ओ मसीह यीशु द्वारा अपना सभ पर दया कऽ कऽ प्रगट कयलनि अछि।
तँ अपन चढ़ौना वेदीक कात मे राखि दिअ आ पहिने जा कऽ अपना भाय सँ मेल करू और तकरबाद आबि कऽ अपन चढ़ौना चढ़ाउ।
वा की अहाँ परमेश्वरक असीम कृपा, सहनशीलता आ धैर्य केँ तुच्छ मानैत छी आ ई नहि जनैत छी जे परमेश्वर अपना कृपा द्वारा अहाँ केँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करबाक अवसर दऽ रहल छथि?
सभ सँ पैघ बात ई जे अहाँ सभ आपस मे अटूट प्रेम राखू, किएक तँ प्रेम असंख्य पाप केँ झाँपि दैत अछि।
[5] एहि लेल पूरा-पूरा प्रयत्न करू जे अहाँ सभ अपना विश्वास मे सद्गुण केँ बढ़बैत चली, अपना सद्गुण मे ज्ञान केँ, [6] अपना ज्ञान मे संयम केँ, अपना संयम मे धैर्य केँ, अपना धैर्य मे भक्ति केँ, [7] अपना भक्ति मे भाय-बहिन वला स्नेह केँ, आ अपना भाय-बहिन वला स्नेह मे प्रेम केँ बढ़बैत चली।
एहि लेल जतऽ धरि अवसर भेटय, सभक लेल भलाइ करी, विशेष रूप सँ तिनका सभक लेल जे सभ विश्वासक कारणेँ अपना सभक भाय-बहिन छथि।
नहि! अपना दुश्मनो सभ सँ प्रेम करू! ओकरा सभक संग भलाइ करू, और फेर फिरता पयबाक आशा नहि राखि कऽ पैंच-उधार दिऔक। अहाँक इनाम पैघ होयत, और परम-परमेश्वरक सन्तान ठहरब। कारण, जे सभ धन्यवाद देबाक भावना नहि रखैत अछि आ दुष्ट अछि, तकरो सभ पर ओ कृपा करैत छथिन।
जेना धर्मशास्त्र कहैत अछि, “जे केओ जीवन मे आनन्द उठाबऽ चाहैत अछि आ नीक दिन देखऽ चाहैत अछि, से अपना जीह केँ अधलाह बात सभ बाजऽ सँ आ अपना ठोर केँ कपटपूर्ण बात सभ बाजऽ सँ रोकय।
ओहिठामक निवासी सभ हमरा सभक संग बहुत उदार भाव सँ व्यवहार कयलक। वर्षा भऽ रहल छल आ जाड़ लागि रहल छल, तँ ओ सभ आगिक घूर बना कऽ हमरा सभक स्वागत कयलक।
हम सभ एहि सभ बातक सामना शुद्ध मोन सँ, ज्ञान सँ, और धैर्य आ दयालुताक संग करैत छी। हम सभ ई काज परमेश्वरक पवित्र आत्माक शक्ति सँ और निष्कपट प्रेम द्वारा करैत छी।
मुदा जखन अपना सभक उद्धारकर्ता-परमेश्वरक दया आ प्रेम प्रगट भेल,