जँ अपना सभ कहैत छी जे हुनका संग हमर संगति अछि जखन कि अन्हारे मे चलि रहल छी तँ झूठ बजैत छी और सत्यक अनुसार आचरण नहि करैत छी।
[9] जे केओ कहैत अछि जे, हम इजोत मे छी, मुदा अपना भाय सँ घृणा करैत अछि, से एखनो अन्हारे मे अछि। [10] जे केओ अपना भाय सँ प्रेम करैत अछि, से इजोत मे रहैत अछि, और ओकरा मे कोनो कारण नहि छैक जाहि सँ ठेस लगतैक। [11] मुदा जे अपना भाय सँ घृणा करैत अछि से अन्हार मे अछि और अन्हारे मे चलैत अछि। ओ नहि जनैत अछि जे हम कतऽ जा रहल छी किएक तँ अन्हार ओकरा आन्हर बना देने छैक। [12] प्रिय बौआ सभ, हम अहाँ सभ केँ ई बात एहि लेल लिखि रहल छी जे प्रभु यीशु मसीह द्वारा अहाँ सभक पाप माफ भऽ गेल अछि। [13] यौ पिता लोकनि, हम अहाँ सभ केँ ई बात एहि लेल लिखि रहल छी जे अहाँ सभ तिनका जानि गेल छी जे शुरू सँ छथि। युवक सभ, हम अहाँ सभ केँ ई बात एहि लेल लिखि रहल छी जे अहाँ सभ दुष्ट शैतान केँ पराजित कयने छी। प्रिय बौआ सभ, हम अहाँ सभ केँ एहि लेल लिखने छी जे अहाँ सभ पिता केँ जानि गेल छी। [14] यौ पिता लोकनि, हम अहाँ सभ केँ एहि लेल लिखने छी जे अहाँ सभ तिनका जानि गेल छी जे शुरू सँ छथि। युवक सभ, हम अहाँ सभ केँ एहि लेल लिखने छी जे अहाँ सभ बलवन्त छी, और परमेश्वरक वचन अहाँ सभ मे रहैत अछि, और अहाँ सभ दुष्ट शैतान केँ पराजित कयने छी। [15] संसार सँ प्रेम नहि करू, और ने संसारक वस्तु सँ। जँ केओ संसार सँ प्रेम करैत अछि, तँ ओकरा मे पिताक प्रति प्रेम नहि छैक। [16] कारण, जे किछु संसार मे छैक, अर्थात् मनुष्यक पापी स्वभावक इच्छा, ओकर आँखिक लालसा और धन-सम्पत्ति पर ओकर घमण्ड, से पिताक दिस सँ नहि, बल्कि संसारक दिस सँ अबैत अछि। [17] संसार और जाहि कोनो बातक लेल ओकर इच्छा होइत छैक, से सभ समाप्त भऽ रहल अछि, मुदा जे व्यक्ति परमेश्वरक इच्छा पर चलैत अछि, से सदा-सर्वदा जीबैत रहत।
अहाँ सभ हर तरहक कटुता, क्रोध, तामस, चिकरनाइ, दोसराक निन्दा कयनाइ और दुष्ट भावना केँ अपना सँ दूर करू।
अहाँ सभक प्रेम निष्कपट होअय। जे किछु अधलाह अछि, ताहि सँ घृणा करू; जे किछु नीक अछि, ताहि सँ प्रेम करू।
[27] “मुदा हम अहाँ सभ केँ, जे हमर बात सुनि रहल छी, कहैत छी जे, अपना शत्रु सभ सँ प्रेम करू; जे सभ अहाँ सँ घृणा करैत अछि, तकरा सभक संग भलाइ करू। [28] जे सभ अहाँ केँ सराप दैत अछि, तकरा सभ केँ आशीर्वाद दिऔक। जे सभ अहाँक संग दुर्व्यवहार करैत अछि, तकरा सभक लेल प्रभु सँ प्रार्थना करू।
[23] “तेँ जँ अहाँ अपन चढ़ौना प्रभुक वेदी पर अर्पण कऽ रहल छी आ ओतहि अहाँ केँ मोन पड़ल जे अहाँक भाय केँ अहाँ सँ कोनो सिकायत छैक, [24] तँ अपन चढ़ौना वेदीक कात मे राखि दिअ आ पहिने जा कऽ अपना भाय सँ मेल करू और तकरबाद आबि कऽ अपन चढ़ौना चढ़ाउ।
[14] अपना सभ जनैत छी जे मृत्यु मे सँ निकलि कऽ जीवन मे पहुँचि गेल छी, कारण अपना भाय सभ सँ प्रेम करैत छी। जे केओ प्रेम नहि करैत अछि, से मृत्यु मे रहैत अछि। [15] जे अपना भाय सँ घृणा करैत अछि से हत्यारा अछि और अहाँ सभ जनैत छी जे कोनो हत्यारा मे अनन्त जीवन वास नहि करैत छैक।
[19] अपना सभ एहि लेल प्रेम करैत छी जे ओ पहिने अपना सभ सँ प्रेम कयलनि। [20] जँ केओ कहैत अछि जे, हम परमेश्वर सँ प्रेम करैत छी, जखन कि अपना भाय सँ घृणा करैत अछि, तँ ओ झूठ बाजऽ वला अछि। कारण, जे अपना भाय सँ जकरा ओ देखने छैक प्रेम नहि करैत अछि, से परमेश्वर सँ जिनका ओ नहि देखने छनि कोना प्रेम कऽ सकैत अछि?